1. संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
अमेरिका स्क्रैमजेट तकनीक में सबसे अग्रणी रहा है। NASA और DARPA (Defense Advanced Research Projects Agency) ने मिलकर X-43A और बाद में X-51 Waverider प्रोजेक्ट्स पर काम किया। X-43A ने 2004 में Mach 9.6 की गति हासिल की, जो अब तक के सबसे तेज़ हाइपरसोनिक उड़ानों में से एक है। X-51A Waverider ने 2013 में सफलतापूर्वक स्क्रैमजेट से उड़ान भरी और Mach 5.1 की गति को पार किया।
2. रूस
रूस ने हाइपरसोनिक तकनीक पर दशकों से अनुसंधान किया है और Avangard और Zircon जैसी प्रणालियों के माध्यम से स्क्रैमजेट/हाइपरसोनिक क्षमताएं विकसित की हैं। Zircon (Tsirkon) मिसाइल स्क्रैमजेट आधारित है और इसे 2020 के बाद से परीक्षणों में सफल माना गया है। रूस का दावा है कि Zircon Mach 8–9 तक की गति प्राप्त कर सकती है।
3. चीन
चीन ने हाल के वर्षों में हाइपरसोनिक तकनीक में उल्लेखनीय प्रगति की है। चीन के Starry Sky-2 (Xingkong-2) और DF-ZF हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन इसका प्रमाण हैं। Starry Sky-2, जिसे 2018 में लॉन्च किया गया, स्क्रैमजेट-सक्षम हाइपरसोनिक विमान था जिसने सफल उड़ान भरी। चीन की हाइपरसोनिक तकनीक को अमेरिका और रूस के बराबर, और कुछ क्षेत्रों में अधिक उन्नत माना जा रहा है।
4. भारत
भारत ने 7 सितंबर 2020 को स्क्रैमजेट तकनीक में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की जब DRDO ने Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle (HSTDV) का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण स्वदेशी स्क्रैमजेट इंजन का उपयोग करते हुए किया गया और भारत दुनिया का चौथा देश बन गया जिसने स्क्रैमजेट तकनीक में प्रवेश किया। DRDO अब इस तकनीक को भविष्य की हाइपरसोनिक मिसाइलों और स्पेस लॉन्च व्हीकल्स में प्रयोग करने की दिशा में अग्रसर है।
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