इस बदलाव के साथ, वर्तमान सभी करार (MoA) स्वतः समाप्त हो जाएंगे और निजी अस्पतालों को पैनल में बने रहने के लिए डिजिटल माध्यम से दोबारा आवेदन करना होगा। निर्धारित समय सीमा के भीतर शपथ पत्र जमा न करने वाले अस्पतालों को पैनल से हटा दिया जाएगा।
नए नियमों का लाभ:
पेंशनर्स और सरकारी कर्मचारियों के लिए बिलिंग प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी।
अस्पतालों की जवाबदेही बढ़ेगी, जिससे सेवा में अस्वीकृति या विलंब पर कार्रवाई संभव होगी।
कैशलेस इलाज और रेफरल सिस्टम का पूर्ण डिजिटलीकरण सुनिश्चित किया गया है।
टेली-कंसल्टेशन सेवाओं का विस्तार किया गया, जिससे घर बैठे विशेषज्ञ सलाह मिल सके।
सर्जरी, डायग्नोस्टिक्स, ICU, डायलिसिस और रूम रेंट जैसी दरों को नए मानकों के अनुसार अपडेट किया गया है।
अस्पतालों के लिए निर्देश:
सभी अस्पतालों को ऑनलाइन पोर्टल पर लॉग इन कर दस्तावेज अपलोड करने होंगे। नए नियमों को स्वीकार कर 90 दिनों के भीतर नया समझौता करना अनिवार्य होगा। निर्देशों का पालन न करने वाले अस्पताल पैनल से हटा दिए जाएंगे।
लाभार्थियों को क्या मिलेगा:
नए रेट्स और डिजिटल प्रक्रिया से कैशलेस इलाज और क्लेम सेटलमेंट आसान होगा। कुछ अस्पताल अस्थायी रूप से पैनल से हट सकते हैं, जिससे आरंभ में थोड़ी असुविधा हो सकती है। लंबे समय से शिकायतों का समाधान होगा और चिकित्सा खर्चों में एकरूपता आएगी।

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