पहला चरण: सरल प्रारूप में विवरण संग्रह
प्रक्रिया की शुरुआत हर शिक्षामित्र से एक सरल प्रारूप में विवरण प्राप्त करने से होगी। उनसे यह पूछा जाएगा किक्या वे अपने वर्तमान विद्यालय में ही कार्य करना चाहते हैं? या फिर वे अपने मूल तैनाती विद्यालय में वापस जाना चाहेंगे? जो लोग वर्तमान विद्यालय में ही बने रहना चाहते हैं, उनके मामलों में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
पुरुष और अविवाहित महिला शिक्षामित्रों के लिए
यदि कोई पुरुष या अविवाहित महिला शिक्षामित्र अपने मूल विद्यालय में वापस तैनाती चाहते हैं और वहाँ पद रिक्त है, तो उन्हें वहीं भेजा जाएगा। यदि वहाँ रिक्ति उपलब्ध न हो, तो उसी ग्राम सभा, ग्राम पंचायत या वार्ड के किसी दूसरे परिषदीय विद्यालय में उपलब्ध रिक्ति के अनुसार तैनाती की जाएगी।
विवाहित महिला शिक्षामित्रों को विशेष विकल्प
इस प्रक्रिया में विवाहित महिला शिक्षामित्रों को बड़ा लाभ दिया गया है। वे चाहें तो अपने पति के जिले में स्थित ग्राम सभा/ग्राम पंचायत के किसी परिषदीय विद्यालय में तैनाती का विकल्प चुन सकती हैं। इसके लिए उन्हें विवाह प्रमाणपत्र, आधार या पैन कार्ड जैसे वैध प्रमाण प्रस्तुत करने होंगे। वर्षों से ससुराल में तैनाती की प्रतीक्षा कर रहीं हजारों महिला शिक्षामित्रों के लिए यह निर्णय एक बड़ी राहत साबित होने वाला है।
शासनादेश का पालन अनिवार्य
रिक्तियों के निर्धारण से लेकर अंतिम तैनाती तक शासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि तीन जनवरी 2025 के शासनादेश के नियमों को अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा। साथ ही, स्थानांतरण प्रक्रिया का पहला चरण शासनादेश में निर्धारित समिति द्वारा ही पूरा कराया जाएगा। इस चरण में किसी पोर्टल का उपयोग नहीं किया जाएगा।
दूसरा चरण बाद में
पहले चरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी जिन मामलों का समाधान नहीं हो सकेगा, उनके लिए दूसरा चरण अलग निर्देशों के आधार पर चलाया जाएगा। वर्तमान में प्रदेश में लगभग डेढ़ लाख शिक्षामित्र कार्यरत हैं, इसलिए यह प्रक्रिया बड़े पैमाने पर प्रभाव डालने वाली है।
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