नई व्यवस्था क्या है?
ट्रेन में ऊपर की सीट तक चढ़ना बुजुर्गों, महिलाओं और गर्भवती यात्रियों के लिए आसान नहीं होता। नए स्मार्ट सिस्टम के तहत अब टिकट बुकिंग के समय, यदि यात्रियों ने लोअर बर्थ का विकल्प न चुना हो, तो सिस्टम खुद ही कोशिश करेगा कि उन्हें उपलब्ध लोअर बर्थ ही मिले। अगर बुकिंग के समय सीट उपलब्ध नहीं होती, तो ट्रेन में टीटीई खाली हुई लोअर बर्थ को इन यात्रियों को प्राथमिकता के आधार पर दे देगा।
किन यात्रियों को मिलेगी प्राथमिकता?
रेलवे ने इस सुविधा का लाभ तीन प्रमुख श्रेणियों के यात्रियों को देने का निर्णय लिया है:
सीनियर सिटीजंस – बुजुर्गों के लिए ऊपर की सीट तक जाना कठिन होता है।
45 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं – लंबी दूरी की यात्रा में लोअर बर्थ अधिक आरामदायक रहती है।
गर्भवती महिलाएं – मिडिल या अपर बर्थ पर चढ़ना उनके लिए मुश्किल हो सकता है। सिस्टम बुकिंग के समय इन श्रेणियों के यात्रियों के लिए पहले लोअर बर्थ की उपलब्धता चेक करेगा और उन्हें ही असाइन करेगा।
हर कोच में लोअर बर्थ पहले से रिजर्व
रेल मंत्रालय के अनुसार, प्रत्येक कोच में इन यात्रियों के लिए कुछ लोअर बर्थ पहले से ही रिजर्व रहती हैं: स्लीपर क्लास: 6–7 लोअर बर्थ, AC थर्ड: 4–5 लोअर बर्थ, AC सेकंड: 3–4 लोअर बर्थ। इसका मतलब है कि सिस्टम सबसे पहले इन यात्रियों की जरूरतों को पूरा करेगा और फिर बाकी सीटें अन्य यात्रियों को अलॉट की जाएंगी।
दिव्यांग यात्रियों के लिए भी स्पष्ट व्यवस्था
दिव्यांग यात्रियों के लिए रेलवे पहले से अलग कोटा देता रहा है, जिसे अब और व्यवस्थित किया गया है। स्लीपर और थर्ड AC: कुल 4 सीटें, जिसमें 2 लोअर बर्थ शामिल हैं। 2S और चेयर कार: 4 रिज़र्व सीटें। साथ यात्रा कर रहे अटेंडेंट के लिए भी सीट अलग से रिजर्व रहती है। ट्रेन में यदि कोई लोअर बर्थ खाली रहती है, तो उसे वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग यात्रियों और गर्भवती महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।

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