यह कार्यक्रम 12 दिसंबर से 29 दिसंबर के बीच चलेगा। इस अवधि में कृषि विभाग की तकनीकी टीम, पशुपालन विभाग और उद्यान विभाग के अधिकारी गांव–गांव जाकर किसानों से संवाद करेंगे और उनकी समस्याएँ मौके पर ही हल करने का प्रयास करेंगे।
खेत-खेत तक पहुंचेगी टेक्नोलॉजी और सलाह
उपकृषि निदेशक गिरीश चंद्र ने बताया कि किसान अक्सर तकनीकी जानकारी के अभाव में बेहतर पैदावार हासिल नहीं कर पाते। इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग ने निर्णय लिया है कि विशेषज्ञ टीमें प्रत्यक्ष रूप से किसानों के बीच बैठकर उन्हें आधुनिक कृषि पद्धतियों की जानकारी देंगी।
इन पाठशालाओं में मृदा स्वास्थ्य, उन्नत बीज, आधुनिक सिंचाई तकनीक, कीट व रोग प्रबंधन, और सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। साथ ही, किसानों की ओर से उठाए गए सवालों का समाधान भी वहीं मौके पर किया जाएगा।
दो दिवसीय कार्यक्रम, शाम पांच बजे तक गतिविधियाँ
प्रत्येक ग्राम पंचायत में दो दिवसीय किसान पाठशाला आयोजित होगी। कार्यक्रम सुबह शुरू होकर शाम 5 बजे तक चलेगा। पाठशाला के लिए ग्राम पंचायत भवन, प्राथमिक विद्यालय, कृषि कल्याण केंद्र और साधन सहकारी समितियों को निर्धारित स्थल बनाया गया है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह पहल किसानों को सरकारी योजनाओं से अधिक जोड़ने में मदद करेगी और विभिन्न योजनाओं के लाभ लेने में आने वाली दिक्कतों को दूर किया जाएगा।
किसानों से अपील, बढ़–चढ़कर शामिल हों
कृषि विभाग ने किसानों से आग्रह किया है कि वे अधिक से अधिक संख्या में किसान पाठशाला में हिस्सा लें, ताकि खेती को बेहतर और लाभकारी बनाने के लिए उपलब्ध सभी जरूरी सूचनाएँ उन्हें आसानी से मिल सकें। सरकार को उम्मीद है कि यह प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि विकास को नई दिशा देगा और किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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