कौन से इलाके हैं निशाने पर?
चीन की नजर मुख्य रूप से साइबेरियाई शहर वालदिवोस्तोक, अमौर और टुमैन नदी के एक द्वीप पर है। ये क्षेत्र 18वीं शताब्दी में चीन के किंग राजवंश से रूस को सौंपे गए थे। 2008 में आखिरी बार दोनों देशों ने इन इलाकों को लेकर वार्ता की थी, लेकिन तब से यथास्थिति बनी हुई है।
विशेषकर टुमैन नदी का द्वीप चीन के रणनीतिक महत्व का केंद्र है। चीन की योजना है कि इस द्वीप पर नियंत्रण कर जापान को समुद्री रास्तों में बाधा डाली जाए। टुमैन नदी और उसके आसपास की नदियां जापान के समुद्री मार्गों से जुड़ी हैं, इसलिए इस पर कब्जा चीन के लिए रणनीतिक लाभ प्रदान करेगा।
इतिहास और भू-राजनीति
1855 से 1915 तक रूस ने चीन के करीब 10 लाख हेक्टेयर जमीनें हासिल कीं। इनमें कुछ क्षेत्रों पर रूस ने जबरन कब्जा किया, जबकि कुछ जमीनें उसे उपहार में मिली। 1858 में रूस को चीन का अमूल इलाका मिला। 1860 में बीजिंग संधि के तहत वालदिवोस्तोक शहर रूस के अधीन आया, जो लगभग 4 लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल है। 1914 में तुवा क्षेत्र पर रूस ने कब्जा किया। चीन ने इन इलाकों को वापस पाने के कई प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। अब चीन संधियों और रणनीतिक चालों के जरिए इन क्षेत्रों को हासिल करने की योजना बना रहा है।
चीन की क्या है रणनीति
चीन ने अपने नक्शों में इन इलाकों को अपने दृष्टिकोण से ही दिखाने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही देश में विभिन्न विभाग इस रणनीतिक लक्ष्य पर विचार और योजना कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह कदम न केवल रूस के क्षेत्रीय हितों को चुनौती देगा, बल्कि एशिया-पैसिफिक क्षेत्र की भू-राजनीतिक स्थिरता पर भी असर डाल सकता है।
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