कर्मचारियों को बड़ी राहत: 15 दिसंबर से लागू होंगे नए नियम

नई दिल्ली। ECHS ने घोषणा की है कि 15 दिसंबर 2025 से सभी संबद्ध अस्पतालों में इलाज और क्लेम प्रक्रिया नई CGHS पैकेज दरों के अनुसार होगी। रक्षा मंत्रालय द्वारा इस बदलाव को 5 दिसंबर को मंजूरी दी गई थी। इससे कर्मचारियों और उनके परिवारों को इलाज और रीइम्बर्समेंट में सुविधा और पारदर्शिता मिलेगी।

नई दरों का प्रभाव

15 दिसंबर से ECHS के सभी संबद्ध अस्पतालों में इलाज नई CGHS दरों पर होगा। साथ ही, लाभार्थियों द्वारा किए गए रीइम्बर्समेंट क्लेम पर भी नई दरें लागू होंगी। सर्विस पेंशनरों और अन्य अधिकृत कैटेगरी को पहले की तरह कैशलेस इलाज मिलता रहेगा। नई दरों में सेमी-प्राइवेट वार्ड को आधार माना गया है और पूरी लिस्ट ECHS की वेबसाइट पर उपलब्ध होगी।

दरों में बदलाव कैसे होंगे?

नई दरें अस्पताल की मान्यता और प्रकार पर निर्भर करेंगी।

NABH/NABL मान्यता प्राप्त अस्पतालों में दरें अधिक होंगी।

Non-NABH/NABL अस्पतालों पर कम दरें लागू होंगी।

उत्तर-पूर्वी राज्य, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में टियर-II दरें लागू होंगी।

टियर- I शहरों में दरें अधिक, टियर-II और टियर-III शहरों में कम होंगी।

सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में सामान्य अस्पतालों की तुलना में दरें अधिक रहेंगी।

वार्ड पात्रता केवल सेमी-प्राइवेट वार्ड पर लागू होगी; OPD, जांच, रेडियोथेरेपी और डे-केयर प्रक्रियाओं की दरें सभी के लिए समान रहेंगी।

कैंसर उपचार पर क्या होंगे नियम?

कैंसर सर्जरी पर पुराने CGHS नियम ही लागू रहेंगे। नई दरें कीमोथेरेपी, जांच और रेडियोथेरेपी पर लागू होंगी। यदि मरीज को गैर-एम्पैनल्ड निजी अस्पताल में इलाज कराना पड़े, तो रीइम्बर्समेंट केवल संबंधित शहर की Non-NABH दर तक ही मिलेगा।

अस्पतालों के लिए MoA नवीनीकरण

नई दरों के लागू होने के साथ ही सभी प्राइवेट अस्पतालों को MoA (Memorandum of Agreement) पुनः नवीनीकृत करना होगा। मौजूदा MoA 15 दिसंबर की रात 12 बजे से समाप्त हो जाएगा। अस्पतालों को ऑनलाइन मॉड्यूल के माध्यम से नया MoA शुरू करना होगा और 90 दिनों के भीतर पूरा करना आवश्यक है। यदि अंडरटेकिंग समय पर जमा नहीं होती, तो अस्पताल को डिपैनल्ड माना जाएगा।

लाभार्थियों के लिए क्या होगा बदलाव

नई व्यवस्था से सभी लाभार्थियों के लिए इलाज और रीइम्बर्समेंट एक समान और स्पष्ट दर प्रणाली के अनुसार होगा। कैशलेस सुविधा पहले की तरह जारी रहेगी। गैर-एम्पैनल्ड निजी अस्पताल में इलाज कराने पर दावा केवल Non-NABH दरों पर स्वीकार किया जाएगा। इस बदलाव से इलाज की लागत और क्लेम प्रक्रिया में पारदर्शिता और एकरूपता आएगी।

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