यूपी में 'कर्मचारियों' के लिए बड़ा अपडेट: ऐसे तय होगी तरक्की!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली चोरी रोकने और राजस्व वसूली बढ़ाने के लिए एक नया कदम उठाया गया है। अब अभियंताओं और कर्मचारियों की जवाबदेही को एसीआर (वार्षिक गोपनीयता रिपोर्ट) से जोड़ा जाएगा। इसका मतलब यह है कि उनकी प्रदर्शन रिपोर्ट में कितनी मेहनत और परिणाम दिखेंगे, उसी के आधार पर उनकी प्रमोशन और तरक्की तय होगी।

एसीआर में शामिल होंगे दो मुख्य पैमाने

नई व्यवस्था के तहत अभियंता और कर्मचारी दो मुख्य पैमानों पर मूल्यांकित होंगे: बिजली चोरी रोकना, राजस्व वसूली बढ़ाना। जितना बेहतर प्रदर्शन, उतनी बेहतर एसीआर। इसके बाद प्रमोशन के रास्ते भी खुलेंगे।

प्रक्रिया और जिम्मेदारी

एसीआर में भरी गई जानकारी की सत्यापन जिम्मेदारी संबंधित अभियंता के एक पद ऊपर के अधिकारी की होगी। इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कर्मचारी अपने कार्यों के प्रति अधिक जवाबदेह और सतर्क रहें।

राजस्व बढ़ाने से उपभोक्ताओं को लाभ

बिजली कंपनियों के घाटे का मुख्य कारण बिजली चोरी रोकने में असफलता और राजस्व वसूली में कमी है। यदि एसीआर में यह मापदंड जुड़ गया, तो कर्मचारी इन मुद्दों पर अधिक ध्यान देंगे। इससे बिजली खरीद और वसूली के बीच अंतर घटेगा और बिजली दरों में बढ़ोतरी की संभावना कम होगी।

विरोध और चुनौतियां

कुछ अभियंता इस नई व्यवस्था को अव्यावहारिक मान रहे हैं और विरोध भी जता रहे हैं। उनका तर्क है कि कर्मचारी की पूरी जिम्मेदारी केवल एसीआर से नहीं तय की जा सकती। इसके बावजूद सरकार इस कदम को लागू करने के लिए दबाव और निगरानी बढ़ाने की तैयारी में है।

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