यह फैसला उन शिक्षकों के लिए राहत भरा साबित होगा जो समय पर स्कूल पहुंचने के बावजूद तकनीकी समस्याओं का शिकार हो रहे थे। पिछले समय में कई शिक्षकों की तनख्वाह ऑनलाइन हाजिरी की खामियों के कारण काटी जाती थी, जिससे उनके बीच निराशा और असंतोष फैल रहा था। विपक्ष ने भी इसे डिजिटल अन्याय कहकर सरकार पर दबाव डाला था।
शिक्षा विभाग की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि जिन शिक्षकों का वेतन पहले तकनीकी खामियों के कारण काटा गया था, वह भी वापस किया जाएगा। इसके लिए जिलों के अधिकारियों को भौतिक उपस्थिति के प्रमाण के आधार पर भुगतान सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार का मानना है कि इससे मेहनती और नियमित शिक्षकों को मानसिक और आर्थिक राहत मिलेगी।
ऑनलाइन हाजिरी व्यवस्था शुरू में शिक्षकों की देर से आने और अनाधिकृत अनुपस्थिति पर नियंत्रण के उद्देश्य से लागू की गई थी। योजना नेक थी, लेकिन तकनीकी कमजोरियों के कारण इसका लाभ शिक्षकों को नहीं मिल पा रहा था। लगातार शिकायतों के बाद सरकार ने अपने रुख़ में बदलाव किया।
हालांकि शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि यह राहत केवल तकनीकी कारणों से हुई ग़लतियों तक ही सीमित होगी। जानबूझकर देर से आने या बिना अनुमति अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों पर नियमों के अनुसार कार्रवाई जारी रहेगी।

0 comments:
Post a Comment