किस किसानों को मिलेगा लाभ?
उत्तर प्रदेश में कुल 2.86 करोड़ किसान हैं, जिनमें से लगभग 92% लघु और सीमांत किसान हैं। बता दें की सीमांत किसान वो हैं जिनके पास 1 हेक्टेयर से कम भूमि है (लगभग 78% किसान)। जबकि लघु किसान वो हैं जिनके पास 1 से 2 हेक्टेयर जमीन है (लगभग 14% किसान)।
सरकार का मुख्य फोकस इन किसानों की आर्थिक समृद्धि और आत्मनिर्भरता पर है। योजना का उद्देश्य इन किसानों को साहूकारों और गैर-संस्थागत कर्जदाताओं से छुटकारा दिलाकर उन्हें सस्ती और संरचित बैंकिंग सेवाएं मुहैया कराना है।
दीर्घकालीन कर्ज की जरूरत क्यों?
वर्तमान में सहकारिता विभाग सहकारी ग्रामीण बैंकों के माध्यम से 3% ब्याज पर अल्पकालीन ऋण उपलब्ध कराता है। इसमें केंद्र सरकार 3% और राज्य सरकार 4.70% की ब्याज सब्सिडी देती है। लेकिन यह ऋण अधिकतम एक वर्ष के लिए होता है और अक्सर फसल की बुवाई व कटाई तक ही सीमित रहता है।
प्रदेश में किसानों को दीर्घकालीन कृषि निवेश—जैसे कि कृषि यंत्रों की खरीद, बोरवेल खुदाई, बागवानी या डेयरी यूनिट की स्थापना—के लिए इस प्रकार का अल्पकालिक ऋण पर्याप्त नहीं होता। यही कारण है कि सरकार ने दीर्घकालीन ऋण योजना लाने का फैसला किया है।
ऋण की विशेषताएं
कर्ज की अधिकतम सीमा: ₹6 लाख
ब्याज दर: 6% प्रतिवर्ष
लाभार्थी: लघु और सीमांत किसान
ऋण उद्देश्य: कृषि कार्यों के लिए दीर्घकालीन निवेश (जैसे—सिंचाई, कृषि यंत्र, बीज, बागवानी आदि)
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