वर्तमान व्यवस्था और शिक्षक हितों पर प्रभाव:
विद्यालयों का संचालन 16 जून से सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक निर्धारित किया गया है, परंतु चिलचिलाती गर्मी में इस समयावधि में कार्य करना शिक्षकों के लिए न केवल असुविधाजनक है, बल्कि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी चिंताजनक है। उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने विद्यालय संचालन का समय दोपहर 12 बजे तक करने की मांग की है, जो व्यावहारिक भी प्रतीत होती है।
वर्ष 2015 से पहले शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों को ग्रीष्मकालीन अवकाश 40 दिन तक मिलता था। लेकिन अब यह अवकाश शीतकालीन अवकाश (31 दिसंबर से 14 जनवरी) के साथ जोड़कर दिया जाता है। शिक्षकों को इस व्यवस्था से न तो मानसिक विश्राम मिल पाता है और न ही उन्हें अर्जित अवकाश की सुविधा पर्याप्त रूप से प्राप्त हो रही है।
प्रशासनिक कार्यों का बोझ और मानसिक दबाव:
ग्रीष्मावकाश के दौरान शिक्षकों को विद्यालयों में आकर प्रशासनिक, शैक्षणिक व अन्य आवश्यक कार्य संपन्न करने होते हैं। इन कार्यों में डायरी, नामांकन, मध्याह्न भोजन की योजना, रिकॉर्ड संधारण, रिपोर्ट तैयार करना आदि शामिल हैं। इन कार्यों की समयसीमा और दबाव के कारण शिक्षकों को अवकाश का अनुभव नहीं हो पाता।
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