इजरायल के समर्थन में देश:
अमेरिका: इजरायल के सबसे मजबूत सहयोगी के तौर पर खुलकर उसके बचाव में खड़ा है। अमेरिका ने ईरान के परमाणु हथियारों के विकास को गंभीर खतरा माना है।
फ्रांस, यूके, जर्मनी, इटली: इन यूरोपीय देशों ने भी इजरायल के अधिकार को मान्यता दी है और उसके बचाव में खड़े हैं। वे इस संघर्ष को क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिहाज से गंभीर मानते हैं और ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर चिंता जताते हैं।
जर्मनी: हालांकि जर्मनी ने क्षेत्रीय अस्थिरता की चिंता जताई है, लेकिन इजरायल के आत्मरक्षा अधिकार को भी समर्थन दिया है।
ईरान के समर्थन में देश:
चीन: चीन ने इजरायल की सैन्य कार्रवाई की कड़ी निंदा की है और इसे ईरान की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन बताया है।
यमन, इराक, ओमान: इन देशों ने भी इजरायल के हमलों का विरोध किया है और ईरान के साथ अपनी एकजुटता जताई है।
तुर्किये: तुर्किये ने इजरायल के हवाई हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया और कहा कि इजरायल कूटनीतिक समाधान नहीं चाहता।
पाकिस्तान: पाकिस्तान ने भी ईरान के प्रति अपना समर्थन स्पष्ट किया है और इजरायल की कार्रवाई की निंदा की है।
कतर: कतर ने भी इजरायल की सैन्य कार्रवाई की कड़ी आलोचना की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसे रोकने का आग्रह किया है।
भारत का रुख:
भारत ने इस संघर्ष पर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के बयान पर चर्चा में हिस्सा नहीं लिया और तनाव कम करने के लिए कूटनीति और बातचीत की आवश्यकता पर जोर दिया। भारत ने अपने विदेश मंत्री एस जयशंकर के जरिए ईरानी समकक्ष के साथ इस मुद्दे पर बात की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता से अवगत कराया। भारत ने साफ किया कि वह क्षेत्रीय तनाव को बढ़ावा देने वाली किसी भी कार्रवाई का समर्थन नहीं करता।
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