ब्रह्मोस-NG: अगली पीढ़ी की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल
ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित की जा रही ब्रह्मोस-NG (नेक्स्ट जेनरेशन) मिसाइल भारतीय रक्षा प्रणाली में एक नई क्रांति लेकर आने वाली है। इस मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण 2026 में किया जाएगा, जो कि भारतीय रक्षा अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। ब्रह्मोस-NG न केवल अपनी पूर्ववर्ती ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत को बढ़ाएगी, बल्कि इसमें और भी अधिक उन्नत तकनीक का समावेश होगा, जिससे इसकी गति, सटीकता और मारक क्षमता में सुधार होगा।
उत्पादन और सेना की आवश्यकताएं
ब्रह्मोस एयरोस्पेस के महानिदेशक जैतीर्थ आर जोशी ने पुष्टि की है कि 2027-28 से ब्रह्मोस-NG का उत्पादन शुरू होगा। भारतीय वायुसेना ने लगभग 400 ब्रह्मोस-NG मिसाइलों की मांग की है, जिनकी अनुमानित लागत 8,000 करोड़ रुपये है। ये मिसाइलें अगले पांच वर्षों के अंदर सेना को सौंप दी जाएंगी, जिससे भारतीय वायु सेना की ताकत में भारी इजाफा होगा।
ब्रह्मोस-NG का वैश्विक महत्व
यह मिसाइल न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूती प्रदान करेगी, बल्कि दक्षिण एशिया और पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य संतुलन पर भी इसका बड़ा प्रभाव पड़ेगा। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के लिए यह एक बड़ी चुनौती होगी। ब्रह्मोस-NG की उच्च गति और जटिल तकनीक इसे किसी भी आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम के लिए एक मुश्किल टारगेट बनाती है।
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