मुखिया को मिले नए अधिकार
मुखिया को मनरेगा योजना के तहत 10 लाख रुपये तक की योजनाओं को प्रशासनिक स्वीकृति के बिना सीधे मंजूरी देने का अधिकार मिलने से ग्राम स्तर पर विकास कार्यों में गति आएगी। इससे न केवल सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन अधिक पारदर्शी और त्वरित होगा, बल्कि ग्राम पंचायतों की स्वायत्तता भी बढ़ेगी। मुखिया स्थानीय जरूरतों के अनुसार प्राथमिकताएं निर्धारित कर सकेंगे और योजनाओं को तुरंत लागू कर सकेंगे, जो ग्रामीण विकास को नई दिशा देगा।
भत्तों में वृद्धि से बढ़ेगा उत्साह
पंचायती राज संस्थाओं के पदाधिकारियों के भत्तों और अन्य लाभों में वृद्धि भी सरकार द्वारा की गई एक महत्वपूर्ण घोषणा है। इस निर्णय के तहत, जिला परिषद अध्यक्ष का मासिक भत्ता 20,000 रुपये से बढ़ाकर 30,000 रुपये कर दिया गया है। वहीं, जिला परिषद उपाध्यक्ष का भत्ता 10,000 रुपये से बढ़कर 20,000 रुपये और मुखिया का भत्ता 5,000 रुपये से बढ़ाकर 7,500 रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा, पंचायत प्रमुख, सरपंच, पंचायत सदस्य और वार्ड सदस्यों के भत्तों में भी वृद्धि की गई है।
पंचायती राज संस्थाओं को मिलेगी मजबूती
बिहार सरकार का यह निर्णय पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पंचायत स्तर पर स्वायत्तता बढ़ने से स्थानीय जनता की समस्याओं का समाधान तेजी से हो सकेगा। साथ ही, भत्तों में वृद्धि से पंचायत पदाधिकारियों का मनोबल बढ़ेगा, जिससे वे अपने कार्यों में और अधिक समर्पित रहेंगे। इससे ग्रामीण विकास योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित होगा और जनता को बेहतर सेवा मिल सकेगी।
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