आपको बता दें की ASAT मिसाइलें ऐसी तकनीक होती हैं जो अंतरिक्ष में मौजूद उपग्रहों को धरती से मार गिराने में सक्षम होती हैं। यह तकनीक न केवल सैन्य ताकत का प्रतीक है, बल्कि रणनीतिक बढ़त का भी महत्वपूर्ण हथियार बन चुकी है।
1. संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
ASAT तकनीक में अमेरिका सबसे पुराना खिलाड़ी है। 1985 में अमेरिका ने पहली बार F-15 फाइटर जेट से ‘Solwind’ सैटेलाइट को मार गिराकर दुनिया को अपनी क्षमता दिखाई थी। इसके बाद 2008 में अमेरिका ने ‘Operation Burnt Frost’ के तहत एक नाकाम सैटेलाइट को SM-3 मिसाइल से गिराया। अमेरिका के पास अब लेज़र आधारित और साइबर एंटी-सैटेलाइट विकल्पों पर भी काम चल रहा है।
2. रूस
सोवियत संघ के जमाने से ही रूस ASAT प्रोग्राम पर काम करता रहा है। मौजूदा रूस ने कई बार अपने अंतरिक्ष परीक्षणों में यह क्षमता दिखाई है। 2021 में रूस ने अपने ही एक सैटेलाइट को मिसाइल से नष्ट किया, जिससे हजारों स्पेस डेब्रिस उत्पन्न हुए और अंतरराष्ट्रीय चिंता बढ़ी। रूस की ये क्षमताएं अंतरिक्ष में उसकी सैन्य रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
3. चीन
चीन ने 2007 में दुनिया को चौंकाते हुए एक निष्क्रिय मौसम उपग्रह को मार गिराया था। इस परीक्षण के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पेस डेब्रिस को लेकर काफी आलोचना हुई। इसके बाद से चीन ने अपनी एंटी-सैटेलाइट क्षमताओं को और अधिक आधुनिक और सटीक बनाया है। चीन अब ASAT लेज़र, जामिंग तकनीक और Co-orbital हथियारों पर भी काम कर रहा है।
4. भारत
भारत ने 27 मार्च 2019 को ‘मिशन शक्ति’ के तहत पहली बार ASAT मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इस परीक्षण में एक लो-अर्थ ऑर्बिट में मौजूद सैटेलाइट को 300 किमी की ऊंचाई पर मार गिराया गया। भारत का यह परीक्षण न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि इससे भारत वैश्विक स्तर पर चौथा देश बन गया जो ASAT मिसाइल से लैस है।
अंतरिक्ष में नई जंग?
ASAT मिसाइलों की तकनीक भले ही "सुरक्षा" के लिए विकसित की गई हो, लेकिन इसके पीछे अंतरराष्ट्रीय शक्ति प्रदर्शन की होड़ भी साफ दिखाई देती है। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स को गिराने से उत्पन्न स्पेस डेब्रिस (मलबा) पूरे अंतरिक्ष परिवेश के लिए खतरा बन सकता है।
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