1. मनरेगा योजनाओं में प्रशासनिक स्वीकृति की सीमा बढ़ाई गई
अब ग्राम पंचायतों के मुखिया को मनरेगा योजना के तहत 5 लाख रुपये की बजाय 10 लाख रुपये तक की योजनाओं को प्रशासनिक स्वीकृति देने की शक्ति दी गई है। इससे पंचायत स्तर पर स्वायत्तता बढ़ेगी और निर्णय लेने की प्रक्रिया अधिक सरल व तेज़ होगी।
2. पंचायती राज प्रतिनिधियों का मासिक भत्ता डेढ़ गुना बढ़ा
पंचायती राज संस्थाओं के तीनों स्तरों — ग्राम, प्रखंड और जिला — के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के मासिक भत्ते में 1.5 गुना की बढ़ोतरी की गई है। इससे प्रतिनिधियों को अपने दायित्वों के निर्वहन में अधिक प्रेरणा और सहयोग मिलेगा।
3. सभी पंचायतों में पंचायत सरकार भवन का निर्माण
राज्य सरकार ने यह लक्ष्य रखा है कि पंचायत चुनावों से पहले सभी ग्राम पंचायतों में पंचायत सरकार भवन बनकर तैयार हो जाएं। इसके लिए 1069 नए भवनों की स्वीकृति दी गई है। इनका निर्माण कार्य ग्राम पंचायतों को सौंपा जाएगा। यदि पंचायत मुख्यालय वाले गांव में जमीन उपलब्ध नहीं है, तो पास के गांव में जमीन ली जा सकती है। भूमि चयन और निर्माण कार्य को शीघ्रता से पूरा करने का निर्देश भी दिया गया है।
4. शस्त्र अनुज्ञप्ति के आवेदन की समय-सीमा में निष्पादन
अब पंचायत प्रतिनिधियों के शस्त्र अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) से संबंधित आवेदन को जिला पदाधिकारी नियमानुसार निर्धारित समय-सीमा में निष्पादित करेंगे। इससे उनकी सुरक्षा की चिंता का समाधान होगा।
5. सामान्य मृत्यु पर भी अनुग्रह अनुदान
पूर्व में केवल आकस्मिक मृत्यु पर पंचायत प्रतिनिधियों को 5 लाख रुपये का अनुग्रह अनुदान दिया जाता था। अब यह लाभ सामान्य मृत्यु पर भी मिलेगा। इसके अतिरिक्त, यदि कोई पंचायत प्रतिनिधि गंभीर बीमारी से ग्रसित होता है, तो उसे मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से स्वास्थ्य सुविधा प्रदान की जाएगी।
6. 15वें वित्त आयोग की राशि से तेजी से विकास
अब त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाएं 15 लाख रुपये तक की योजनाओं का कार्यान्वयन विभागीय तौर पर कर सकेंगी। इससे 15वें वित्त आयोग और राज्य वित्त आयोग से प्राप्त धनराशि का तेजी से और प्रभावी उपयोग संभव होगा।
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