पुरुषों में स्पर्म काउंट कितना होना चाहिए? जानिए खतरे की सीमा

साइंस डेस्क। फर्टिलिटी यानी प्रजनन क्षमता एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य विषय है, जो आज के समय में कई पुरुषों के लिए चिंता का कारण बन चुका है। पुरुषों में स्पर्म काउंट (शुक्राणुओं की संख्या) की कमी न केवल उनके प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि यह उनकी सामान्य सेहत का भी संकेत हो सकती है। इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि पुरुषों में स्पर्म काउंट कितना होना चाहिए और कब यह कमी खतरे की सीमा में आ जाती है।

स्पर्म काउंट क्या है?

स्पर्म काउंट का मतलब है शुक्राणुओं की संख्या जो पुरुष के वीर्य (सेमन) में पाए जाते हैं। सामान्य तौर पर, स्वस्थ पुरुष के वीर्य में प्रति मिलीलीटर लगभग 15 मिलियन से 200 मिलियन शुक्राणु होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 15 मिलियन शुक्राणु प्रति मिलीलीटर से कम स्पर्म काउंट को ‘लो स्पर्म काउंट’ माना जाता है।

खतरे की सीमा कब होती है?

15 मिलियन से कम प्रति मिलीलीटर: इसे कम स्पर्म काउंट (Oligospermia) कहा जाता है।

5 मिलियन से कम प्रति मिलीलीटर: यह गंभीर कम स्पर्म काउंट की श्रेणी में आता है।

स्पर्म की मात्रा बहुत कम या ना के बराबर हो: इसे Azoospermia कहा जाता है, जो प्रजनन में पूरी तरह बाधा डालता है। जब स्पर्म काउंट इन सीमाओं से नीचे आता है, तो पुरुष की संतान उत्पत्ति की क्षमता प्रभावित होती है और इसे पुरुष बांझपन (Infertility) का कारण माना जाता है।

स्पर्म काउंट कम होने के कारण

जीवनशैली: तनाव, धूम्रपान, शराब, मोटापा, और गलत खान-पान।

स्वास्थ्य समस्याएं: हॉर्मोनल असंतुलन, वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण, जननांगों की चोट या सर्जरी।

पर्यावरणीय कारक: हानिकारक रसायन, रेडिएशन, और गर्मी।

अन्य कारण: मानसिक तनाव, कम नींद, और प्रदूषण।

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