अब ग्राम प्रधान को मिलते हैं ₹5,000 प्रति माह
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2021 से ग्राम प्रधानों का मासिक मानदेय बढ़ाकर ₹5,000 कर दिया है। पहले यह राशि मात्र ₹3,500 थी। इसके अलावा प्रधानों को सालाना ₹15,000 का यात्रा भत्ता भी मिलता है, जिसका उपयोग वे गांव से जुड़े कामकाज और बैठक में भाग लेने के लिए कर सकते हैं।
ग्राम प्रधानों को अब पंचायत के ₹5 लाख तक के वित्तीय मामलों को स्वीकृत करने का अधिकार भी मिला है, जिससे वे बिना देरी के ज़रूरतमंद योजनाओं पर निर्णय ले सकते हैं। यही नहीं, किसी ग्राम प्रधान की मृत्यु होने पर उनके परिजनों को ₹10 लाख की आर्थिक सहायता देने का भी प्रावधान किया गया है।
फंड:आबादी और क्षेत्रफल के अनुसार बजट
उत्तर प्रदेश के गांवों के लिए हर वर्ष विकास कार्यों के लिए ₹2 लाख से ₹15 लाख तक का बजट पास होता है। यह राशि गांव की जनसंख्या, भौगोलिक क्षेत्रफल और स्थानीय जरूरतों के अनुसार तय की जाती है। छोटे गांवों को ₹2 से ₹5 लाख सालाना, जबकि मध्यम गांवों को ₹6 से ₹10 लाख और बड़े गांवों को ₹10 से ₹15 लाख तक का फंड प्राप्त होता है। यह फंड मुख्य रूप से मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन, 15वें वित्त आयोग, और राज्य योजनाओं के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है।
किन कामों में होता है फंड का उपयोग?
ग्राम प्रधान इस फंड का इस्तेमाल गांव के विकास कार्यों जैसे: सड़क निर्माण एवं मरम्मत, नाली एवं जल निकासी व्यवस्था, शौचालय निर्माण और स्वच्छता, खेल मैदान और सामुदायिक भवन, आंगनबाड़ी केंद्रों की निगरानी, पशु पालन, मछली पालन, सिंचाई सुविधा, शिक्षा और जागरूकता अभियान, आदि कार्यों में करते हैं।
ग्रामीण भारत की रीढ़ हैं प्रधान
ग्रामीण जनता के सबसे करीबी प्रतिनिधि होने के कारण ग्राम प्रधान न केवल विकास योजनाओं को ज़मीन पर उतारते हैं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और सामाजिक समरसता बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ग्राम प्रधानों को और तकनीकी प्रशिक्षण व पारदर्शिता के संसाधन दिए जाएं, तो गांवों की तस्वीर बदली जा सकती है।
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