हाइपरसोनिक मिसाइल से लैस भारत: दुश्मनों की उड़ी नींद

नई दिल्ली। साल 2024 भारत के रक्षा इतिहास में एक ऐतिहासिक वर्ष बनकर उभरा, जब देश ने अपनी पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह परीक्षण न केवल तकनीकी दृष्टि से एक बड़ी उपलब्धि थी, बल्कि भारत की रणनीतिक ताकत और आत्मनिर्भर रक्षा क्षमताओं का भी प्रतीक है। इस मिसाइल की खास बात यह है कि यह ध्वनि की गति से पाँच गुना (Mach 5) तेज उड़ान भर सकती है और 1500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक दुश्मन के ठिकानों को नष्ट कर सकती है।

हाइपरसोनिक तकनीक: क्या है विशेषता?

हाइपरसोनिक मिसाइलें पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में कई गुना तेज होती हैं। इनकी गति और युद्धाभ्यास (maneuverability) क्षमता इतनी अधिक होती है कि मौजूदा मिसाइल रक्षा प्रणालियाँ उन्हें ट्रैक करने और रोकने में लगभग असमर्थ होती हैं। भारत की हाइपरसोनिक मिसाइलें हवा, पानी और जमीन — तीनों प्लेटफार्मों से लॉन्च की जा सकती हैं, जिससे इनकी उपयोगिता और मारक क्षमता और भी अधिक बढ़ जाती है।

स्क्रैमजेट इंजन का सफल परीक्षण

इसके अलावे भारत ने एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार किया, जब डीआरडीओ ने स्क्रैमजेट (Scramjet) इंजन का 1000 सेकंड तक सफलतापूर्वक जमीन पर परीक्षण किया। स्क्रैमजेट तकनीक हाइपरसोनिक मिसाइलों को लंबे समय तक अत्यधिक गति पर बनाए रखने की क्षमता देती है। यह परीक्षण दिखाता है कि भारत अब न केवल हाइपरसोनिक मिसाइलें विकसित करने में सक्षम है, बल्कि उनके इंजन और अन्य आवश्यक तकनीकों में भी आत्मनिर्भर बन रहा है।

चीन और पाकिस्तान की उड़ी नींद

भारत की हाइपरसोनिक मिसाइलें केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं हैं, ये सामरिक संतुलन को भी बदल सकती हैं। इन मिसाइलों की उच्च गति, सटीकता और अभेद्य क्षमता भारत को चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरक्षा और आक्रामक रणनीति प्रदान करती है। युद्ध की स्थिति में ये मिसाइलें दुश्मन के कमांड सेंटर, सैन्य अड्डों और मिसाइल लांच पैड्स को पहले ही हमले में नष्ट करने की क्षमता रखती हैं।

 आत्मनिर्भर भारत की दिशा में

भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने इन मिसाइलों को पूरी तरह स्वदेशी रूप से विकसित किया है। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों की दिशा में एक मजबूत कदम है। इससे न केवल भारत की रक्षा तैयारियाँ मजबूत होती हैं, बल्कि तकनीकी और औद्योगिक आत्मनिर्भरता को भी बल मिलता है।

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