मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रुद्रम-4 का निर्माण भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा किया जा रहा है। आने वाले समय में इसे सुखोई-30, मिराज-2000 और संभावित रूप से राफेल जैसे उन्नत लड़ाकू विमानों से दागा जा सकता है।
किस मिशन के लिए उपयोगी?
रुद्रम श्रृंखला खासतौर पर "सर्जिकल स्ट्राइक", "डीप पेनिट्रेशन अटैक" और "एंटी-रेडिएशन मिशन" के लिए बनाई गई है। यह दुश्मनों के एयर डिफेंस सिस्टम को जाम कर देता हैं तथा सभी इलेक्ट्रॉनिक चीजों को तबाह कर देता हैं। जिससे दुश्मन की शक्ति खत्म हो जाती हैं।
रुद्रम-1: सुपरसोनिक गति वाली मिसाइल है जिसकी रेंज लगभग 200 किलोमीटर है। यह दुश्मन के रडार और संचार प्रणाली को नष्ट करने के लिए बनी है।
रुद्रम-2: यह रुद्रम का अगला वर्जन हैं जिसकी रेंज 300 किलोमीटर तक है। यह स्ट्राइक और रेडिएशन दोनों प्रकार के लक्ष्यों को भेद सकती है।
रुद्रम-3: लगभग 550 किलोमीटर की रेंज वाली एंटी रेडिएशन मिसाइल है जो दुश्मन के गहरे इलाकों में टारगेट कर सकती है।
रुद्रम-4: सबसे उन्नत संस्करण है, जिसकी रेंज 600 किलोमीटर से अधिक मानी जा रही है। इसकी गति, सटीकता और एजिलिटी इसे अत्याधुनिक बनाती है।
क्यों है चीन को डर?
रुद्रम-4 की रेंज और स्पीड इसे भारतीय वायुसेना के लिए एक 'गेमचेंजर' बनाती है। यह मिसाइल चीन के अहम सैन्य ठिकानों तक पहुंचने में सक्षम है। चीन की चिंता यह भी है कि रुद्रम-4 जैसे हथियार बिना सीमा पार किए ही उसके सबसे सुरक्षित अड्डों को निशाना बना सकते हैं। इस मिसाइल की हाइपरसोनिक गति और टारगेटिंग सिस्टम ऐसे हैं कि यह दुश्मन के किसी भी आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर अपने लक्ष्य को भेद सकती है।
0 comments:
Post a Comment