भारत की मिसाइल शक्ति को नई उड़ान: ब्रह्मोस-NG और ब्रह्मोस-2

नई दिल्ली। भारत तेजी से सैन्य और तकनीकी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। इस दिशा में देश दो अत्याधुनिक मिसाइल प्रणालियाँ विकसित कर रहा है—ब्रह्मोस-NG (नेक्स्ट जेनरेशन) और ब्रह्मोस-2, जो आने वाले वर्षों में भारत की सामरिक क्षमताओं को पूरी दुनिया के सामने एक नई पहचान देंगी। ये दोनों मिसाइलें न केवल भारत की सुरक्षा को मजबूत करेंगी, बल्कि देश को वैश्विक रक्षा बाजार में एक मजबूत खिलाड़ी भी बनाएंगी।

ब्रह्मोस-NG: हल्की, घातक और तेज़

ब्रह्मोस-NG, यानी ब्रह्मोस की नई पीढ़ी की मिसाइल, मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल की तुलना में कहीं अधिक हल्की और कॉम्पैक्ट होगी। इसका वजन लगभग 1.6 टन और लंबाई 6 मीटर होगी, जिससे इसे छोटे लड़ाकू विमानों जैसे तेजस और मिग-29 पर भी तैनात किया जा सकेगा। इस मिसाइल की अधिकतम रफ्तार Mach 3.5 (लगभग 4,300 किमी/घंटा) होगी और यह 290 किलोमीटर तक लक्ष्य भेद सकती है।

ब्रह्मोस-NG में उन्नत AESA रडार, लो रडार क्रॉस-सेक्शन और अत्यधिक सटीक गाइडेंस सिस्टम जैसे फीचर्स होंगे, जिससे यह दुश्मन की निगरानी और रक्षा प्रणालियों को चकमा देकर सटीक हमला कर सकेगी। इसकी पहली उड़ान परीक्षण की संभावना 2026 में जताई गई है, और उत्पादन 2025 के अंत तक शुरू हो सकता है।

ब्रह्मोस-2: हाइपरसोनिक क्रांति

ब्रह्मोस-2 एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो Mach 8 (लगभग 9,800 किमी/घंटा) की अविश्वसनीय गति से उड़ान भरने में सक्षम होगी। यह मिसाइल स्क्रैमजेट इंजन तकनीक पर आधारित होगी, जो इसे बेहद उच्च गति पर स्थिर उड़ान की क्षमता प्रदान करती है। ब्रह्मोस-2 की रेंज 1,000–1,500 किलोमीटर तक हो सकती है, जिससे यह लंबी दूरी के उच्च-संरक्षित लक्ष्यों को भी मिनटों में तबाह कर सकती है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ब्रह्मोस-2 का विकास भारत और रूस की संयुक्त परियोजना है और इसे दुनिया की सबसे तेज़ क्रूज मिसाइलों में से एक माना जा रहा है। इसके परीक्षण 2026 या 2027 में संभावित हैं। इसको लेकर तेजी से तैयारी की जा रही हैं। 

आत्मनिर्भर भारत और रक्षा निर्यात

ब्रह्मोस-NG का निर्माण उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थापित एक नई उत्पादन इकाई में होगा। यह संयंत्र न केवल देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर भी देगा। भारत पहले ही फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली निर्यात कर चुका है और अब इंडोनेशिया, वियतनाम और अन्य देशों के साथ बातचीत कर रहा है।

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