यूपी में 'ग्राम प्रधान' की शक्तियां कितनी होती है?

लखनऊ। उत्तर प्रदेश जैसे विशाल और विविध राज्य में गांवों की उन्नति और समुचित प्रशासन के लिए ग्राम प्रधान की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल एक संवैधानिक पद है, बल्कि गांव के लिए नेतृत्व, समन्वय और विकास का केंद्र भी है। संविधान के 73वें संशोधन और पंचायती राज अधिनियम के तहत ग्राम प्रधान को ग्रामीण शासन का आधारभूत स्तंभ माना गया है।

ग्राम प्रधान की प्रमुख शक्तियां और जिम्मेदारियां:

1. विकास कार्यों की अगुवाई

ग्राम प्रधान गांव के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए जिम्मेदार होता है। वह सड़कों, नालियों, पानी की व्यवस्था, बिजली, और साफ-सफाई जैसी आवश्यक सेवाओं को सुनिश्चित करने की योजना बनाता है और उनके क्रियान्वयन की निगरानी करता है। कृषि, पशुपालन, सिंचाई और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने वाले कार्य भी ग्राम प्रधान की प्राथमिकता में होते हैं।

2. प्रशासनिक नेतृत्व

ग्राम प्रधान ग्राम सभा और ग्राम पंचायत की बैठकों की अध्यक्षता करता है और प्रशासनिक कार्यों का समुचित संचालन करता है। वह पंचायती बजट का निर्माण करता है, प्रस्ताव पारित करवाता है, और सरकारी योजनाओं को गांव के स्तर पर लागू करने में प्रमुख भूमिका निभाता है। गांव की कानून-व्यवस्था बनाए रखने में भी वह सहयोगी भूमिका निभाता है।

3. सामाजिक कल्याण का संवाहक

ग्राम प्रधान गांव के गरीब, वंचित, वृद्ध, महिलाओं और बच्चों के कल्याण हेतु विभिन्न सामाजिक योजनाओं को लागू करता है। पेंशन योजनाएं, विधवा और विकलांग सहायता, जन स्वास्थ्य सेवाएं और सरकारी अनुदान जैसी सुविधाओं को पात्र लाभार्थियों तक पहुंचाना उसकी जिम्मेदारी है।

4. वित्तीय प्रबंधन

ग्राम प्रधान को पंचायत निधियों का उपयोग करने का अधिकार होता है। वह सरकारी फंड के तहत मिलने वाले अनुदान, टैक्स और स्व-राजस्व का समुचित प्रबंधन करता है। बजट बनाना, व्यय को मंजूरी देना और पारदर्शिता सुनिश्चित करना उसकी वित्तीय जवाबदेही का हिस्सा होता है।

5. विवाद समाधान और नेतृत्व क्षमता

गांव के छोटे-मोटे विवादों को सुलझाने में ग्राम प्रधान पंचायती परंपरा के तहत निर्णायक भूमिका निभाता है। वह विकास समितियों का गठन कर गांव के नागरिकों को निर्णय प्रक्रिया में भागीदारी का अवसर देता है।

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