4 देशों के पास स्क्रैमजेट टेक्नोलॉजी: रक्षा प्रणाली में नई क्रांति

नई दिल्ली। दुनिया की सैन्य ताकतें अब पारंपरिक हथियारों से आगे बढ़ चुकी हैं। आधुनिक युग की सैन्य दौड़ में स्क्रैमजेट तकनीक एक ऐसी क्रांति बनकर उभरी है, जो युद्ध के तौर-तरीकों को पूरी तरह बदल सकती है। वर्तमान में केवल चार देशों — अमेरिका, रूस, चीन और भारत — ने इस अत्याधुनिक हाइपरसोनिक स्क्रैमजेट इंजन तकनीक में महत्वपूर्ण प्रगति की है। यह न केवल सैन्य क्षमताओं को कई गुना बढ़ा रहा है, बल्कि वैश्विक सामरिक संतुलन को भी चुनौती दे रहा है।

क्या है स्क्रैमजेट तकनीक?

स्क्रैमजेट (Supersonic Combustion Ramjet) एक ऐसा इंजन है जो ध्वनि की गति से कई गुना तेज उड़ान भरने में सक्षम है। यह इंजन वायुमंडल से सीधे ऑक्सीजन लेकर ईंधन जलाता है, जिससे रॉकेट की तरह भारी ऑक्सीजन टैंक की जरूरत नहीं पड़ती। इसकी सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह मिसाइलों को मैक 5 (ध्वनि की गति से पांच गुना) या उससे अधिक की रफ्तार प्रदान करता है। इसका इस्तेमाल हाइपरसोनिक मिसाइल में होता हैं।

कौन हैं इस तकनीक में अग्रणी देश?

1. अमेरिका

अमेरिका ने X-43A और X-51 Waverider जैसे परीक्षणों के जरिए स्क्रैमजेट इंजन पर विश्वस्तरीय शोध किया है। अमेरिकी वायुसेना इस तकनीक के सैन्य उपयोग पर लंबे समय से कार्यरत है और इसे अगली पीढ़ी के हाइपरसोनिक हथियारों के रूप में देख रही है।

2. रूस

रूस ने अपनी जिरकॉन (Zircon) मिसाइल के जरिए स्क्रैमजेट तकनीक को युद्ध स्तर पर लागू कर दिया है। यह मिसाइल करीब मैक 8 से मैक 9 की रफ्तार से उड़ सकती है और इसे रूसी नौसेना के जहाजों पर तैनात किया जा रहा है।

3. चीन

चीन ने DF-ZF (पूर्व में WU-14) नामक हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल और स्क्रैमजेट आधारित प्रोटोटाइप पर कार्य किया है। चीन की यह तकनीक अमेरिका और रूस को टक्कर देने की दिशा में एक मजबूत कदम मानी जा रही है।

4. भारत

भारत ने HSTDV (Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle) के जरिए स्क्रैमजेट तकनीक में अपनी उपस्थिति दर्ज की है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 2020 में इसका सफल परीक्षण कर भारत को इस अत्याधुनिक क्लब का हिस्सा बना दिया।

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