अमेरिका: तकनीक और ताकत का पर्याय
अमेरिका दशकों से मिसाइल टेक्नोलॉजी में सबसे आगे रहा है। उसके पास ICBM (Intercontinental Ballistic Missiles), थर्मोन्यूक्लियर हथियार, और अब हाइपरसोनिक मिसाइलों में तेज़ी से प्रगति है। THAAD और Patriot जैसे मिसाइल डिफेंस सिस्टम वैश्विक स्तर पर मानक बन चुके हैं।
रूस: घातकता और गतिशीलता का मिश्रण
रूस की मिसाइल प्रणाली अपनी रेंज, घातकता और हाइपरसोनिक गति के लिए जानी जाती है। Avangard और Zircon जैसी मिसाइलें Mach 9 से अधिक गति से वार कर सकती हैं। रूस की S-400 और अब S-500 डिफेंस प्रणाली पूरी दुनिया में चर्चा का विषय हैं।
चीन: तकनीक में तेज़ी से उभरती हुई सैन्य शक्ति
पिछले दो दशकों में चीन ने मिसाइल तकनीक में चौंकाने वाली तेजी दिखाई है। DF-21D जैसी एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल और DF-41 जैसी लंबी दूरी की परमाणु मिसाइल चीन को एक गंभीर सैन्य शक्ति में बदल चुकी हैं। साथ ही, चीन हाइपरसोनिक हथियारों की दौड़ में अमेरिका और रूस को टक्कर दे रहा है।
भारत: आत्मनिर्भरता और सटीकता की मिसाल
भारत ने मिसाइल तकनीक में आत्मनिर्भरता का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। DRDO द्वारा विकसित अग्नि और पृथ्वी सीरीज़ की मिसाइलें, ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल और हाल ही में टेस्ट की गई अग्नि-V ICBM भारत को एक रणनीतिक महाशक्ति बनाती हैं। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत अब मिसाइल निर्यातक बनने की राह पर है। भारत हाइपरसोनिक मिसाइल भी तैयार कर चूका हैं।
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