कौन-कौन से देश हैं शामिल?
जानकारी के अनुसार, अमेरिका के B61 परमाणु बम जिनकी गिनती गैर-रणनीतिक (tactical) परमाणु हथियारों में होती है, निम्नलिखित 5 देशों में स्थित हैं:
बेल्जियम – क्लाइने ब्रोगेल एयरबेस
जर्मनी – ब्यूशेल एयरबेस
इटली – अवियानो और घेदी एयरबेस
नीदरलैंड्स – वोल्केल एयरबेस
तुर्की – इन्सिरलिक एयरबेस
इन सभी स्थानों पर अमेरिकी परमाणु बम नाटो की न्युक्लियर शेयरिंग नीति के तहत रखे गए हैं, जिनका नियंत्रण अमेरिका के पास ही रहता है, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर इन देशों के पायलट इन हथियारों को ले जाने के लिए प्रशिक्षित रहते हैं।
कितनी संख्या में हैं बम?
हालांकि आधिकारिक तौर पर संख्या की पुष्टि नहीं की जाती, लेकिन सैन्य विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों के अनुसार, यूरोप में करीब 100 से 150 के बीच B61 ग्रेविटी बम तैनात हैं। Cold War के बाद से इनकी संख्या में धीरे-धीरे कमी आई है, लेकिन रणनीतिक महत्व अभी भी बना हुआ है।
क्यों तैनात हैं यूरोप में?
इस तैनाती का मुख्य उद्देश्य रूस जैसे देशों के संभावित परमाणु या पारंपरिक हमलों के विरुद्ध नाटो की प्रतिक्रिया क्षमता को बनाए रखना है। इससे यह संदेश जाता है कि अमेरिका और नाटो मिलकर किसी भी खतरे का मुकाबला कर सकते हैं। इसके साथ ही, यह तैनाती नाटो सदस्यों के बीच "साझी सुरक्षा ज़िम्मेदारी" को भी दर्शाती है, जिससे सदस्य देश परमाणु नीति में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित होते हैं।
विवाद और बहस
यूरोप में अमेरिकी परमाणु हथियारों की मौजूदगी को लेकर वर्षों से बहस चलती रही है। कई देशों में आम जनता और राजनीतिक दलों ने इनके हटाने की मांग की है, खासकर जर्मनी और बेल्जियम जैसे देशों में। लेकिन वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य, विशेषकर रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद, इन हथियारों की प्रासंगिकता एक बार फिर चर्चा में है।
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