यूपी में गांवों की संरचना बदली, 36 जिलों में घटीं ग्राम पंचायतें

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत चुनाव से पहले प्रशासनिक स्तर पर बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। राज्य के 36 जिलों में ग्राम पंचायतों की सीमाएं और संख्या बदल दी गई हैं। नए परिसीमन के तहत शहरी विस्तार और जनसंख्या संतुलन को ध्यान में रखते हुए कई पंचायतों को शहरों में समाहित कर दिया गया है। इस पूरी प्रक्रिया का पंचायत चुनावों पर गहरा असर पड़ेगा।

देवरिया में सबसे अधिक पंचायतें घटीं

नए आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक 64 ग्राम पंचायतें देवरिया जिले में समाप्त की गई हैं। इसके बाद आजमगढ़ में 47, प्रतापगढ़ में 45, अमरोहा और गोरखपुर में 21-21, गाजियाबाद में 19, और फतेहपुर में 18 पंचायतें घटा दी गई हैं। अलीगढ़ में 16 तथा फर्रुखाबाद में 14 पंचायतों को पंचायती नक्शे से बाहर कर दिया गया है।

शहरीकरण बना पंचायत कटौती का कारण

पंचायतों की इस कटौती का मुख्य कारण शहरी क्षेत्रों का तेजी से विस्तार है। जिन पंचायतों के अंतर्गत आने वाले गांव अब नगर निकायों की सीमा में शामिल हो चुके हैं, वे स्वतः ही पंचायत दायरे से बाहर कर दिए गए हैं। इससे पंचायत की भौगोलिक और प्रशासनिक सीमाएं सिमट गई हैं।

वार्ड और क्षेत्र पंचायतों की भी बदलेगी तस्वीर

ग्राम पंचायतों की सीमाएं घटने के साथ-साथ आसपास के छोटे गांव या ‘मजरे’ अब अन्य पंचायतों में जोड़े जा रहे हैं। इससे वार्डों की संख्या और उनकी संरचना भी बदल जाएगी। यह बदलाव केवल ग्राम पंचायत तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे क्षेत्र पंचायत (ब्लॉक स्तर) की गणित में भी उलटफेर होगा।

स्थानीय प्रतिनिधित्व और विकास कार्यों पर पड़ेगा असर

इस परिसीमन प्रक्रिया का सीधा असर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के अधिकार क्षेत्र और विकास कार्यों के वितरण पर पड़ेगा। जब पंचायतें समाहित होती हैं या उनकी सीमाएं बदलती हैं, तो नए प्रतिनिधियों को नए क्षेत्र की जिम्मेदारियां दी जाती हैं। इससे न केवल प्रशासनिक समन्वय की चुनौती बढ़ती है, बल्कि स्थानीय मतदाताओं के लिए भी भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

विभाग तैयारियों में जुटा, चुनाव समय पर कराने की कोशिश

राज्य सरकार और पंचायत विभाग इस नई संरचना को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। परिसीमन कार्य पूरा होते ही वार्ड निर्धारण और आरक्षण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, ताकि चुनाव तय समय पर संपन्न हो सकें।

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