हर देश परमाणु बम क्यों नहीं बना सकता? पढ़ें पूरी रिपोर्ट

नई दिल्ली। परमाणु बम दुनिया के सबसे खतरनाक हथियारों में से एक है। इसकी विनाशकारी क्षमता इतनी अधिक है कि यह कुछ ही क्षणों में लाखों लोगों की जान ले सकता है और पूरे शहर को मलबे में बदल सकता है। लेकिन सवाल यह है कि हर देश क्यों नहीं बना सकता परमाणु बम? तकनीकी रूप से, क्या यह इतना कठिन है या इसके पीछे कोई अंतरराष्ट्रीय साजिश है? आइए, इस पूरी कहानी को समझते हैं।

1. परमाणु बम बनाना क्यों है इतना मुश्किल?

परमाणु हथियार बनाना केवल इच्छाशक्ति का मामला नहीं है, बल्कि यह जटिल वैज्ञानिक, तकनीकी, और राजनयिक चुनौतियों से भरा एक कठिन काम है। मुख्य कारणों को समझते हैं:

संवर्धित यूरेनियम और प्लूटोनियम की जरूरत

परमाणु बम बनाने के लिए उच्च स्तर के संवर्धित यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 की आवश्यकता होती है। ये पदार्थ सामान्य तौर पर आसानी से नहीं मिलते और इन्हें तैयार करना तकनीकी रूप से बेहद जटिल और महंगा है। इसके लिए उच्च दिमाग वाले वैज्ञानिकों की जरूरत होती हैं।

अत्यधिक सुरक्षित तकनीक

परमाणु बम को डिज़ाइन करने के लिए बेहद परिष्कृत तकनीकी ज्ञान, वैज्ञानिक उपकरण, और विशेषज्ञता चाहिए। इसके साथ ही, यह काम छिपकर करना पड़ता है, जिससे निगरानी और प्रतिबंधों से बचा जा सके।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध और पाबंदियां

परमाणु हथियार बनाने की कोशिश करने वाले देशों पर संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, और अन्य वैश्विक शक्तियां कड़ी नजर रखती हैं। यदि कोई देश इसे छिपकर बनाता है, तो उस पर आर्थिक, राजनीतिक और कभी-कभी सैन्य कार्रवाई भी की जा सकती है।

2. क्या है NPT संधि?

न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफेरेशन ट्रीटी (NPT), यानी परमाणु अप्रसार संधि, 1970 में लागू हुई। इसका उद्देश्य था: केवल उन्हीं देशों को परमाणु हथियार रखने की अनुमति देना, जिन्होंने 1 जनवरी 1967 से पहले इन्हें बना लिया था। ये देश थे – अमेरिका, रूस (तब सोवियत संघ), चीन, ब्रिटेन और फ्रांस हैं। 

बाकी सभी देशों को परमाणु हथियारों से दूर रहना था। बदले में परमाणु तकनीक का शांतिपूर्ण उपयोग (जैसे बिजली उत्पादन) उन्हें उपलब्ध कराया जाता। इस संधि पर 190 देशों ने हस्ताक्षर किए, लेकिन भारत, पाकिस्तान, इज़राइल और उत्तर कोरिया इससे बाहर रहे।

3. भारत ने कैसे बनाया परमाणु बम?

भारत ने NPT पर हस्ताक्षर नहीं किए। भारत का मानना था कि यह संधि भेदभावपूर्ण है क्योंकि यह कुछ देशों को परमाणु हथियार रखने की अनुमति देती है और बाकी को रोकती है। भारत ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के नाम पर अपनी परमाणु तकनीक विकसित की और 1974 में "स्माइलिंग बुद्धा" नामक परीक्षण करके दुनिया को चौंका दिया। इसके बाद 1998 में पोखरण-II परीक्षण कर भारत ने खुद को खुले तौर पर परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया।

4. पाकिस्तान, इजरायल और उत्तर कोरिया की स्थिति

पाकिस्तान ने भारत के जवाब में 1998 में परमाणु परीक्षण किया। इज़रायल ने कभी सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार नहीं किया, लेकिन माना जाता है कि उसके पास परमाणु हथियार हैं। जबकि उत्तर कोरिया NPT से बाहर निकलकर खुले तौर पर परमाणु परीक्षण कर चुका है।

वहीं, परमाणु हथियार बनाने की कोशिश करना दुनिया से दुश्मनी मोल लेना है। जैसे ईरान पर बार-बार प्रतिबंध लगे हैं और उसकी परमाणु साइट्स पर हमले हुए हैं। इजरायल और ईरान के बीच चल रहा युद्ध भी इसी बात का प्रमाण हैं। इजरायल नहीं चाहता की ईरान परमाणु बम बनाये।

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