दो जोड़ी पोशाक मिलेंगे हर बच्चे को
इस योजना के तहत प्रत्येक बच्चे को साल में दो जोड़ी कपड़े दिए जाएंगे। यह कार्य जीविका समूह की महिलाओं द्वारा किया जाएगा, जो स्थानीय स्तर पर कपड़े सिलकर सीधे आंगनबाड़ी केंद्रों में पहुंचाएंगी। इस तरह न सिर्फ बच्चों को बेहतर सुविधा मिलेगी, बल्कि जीविका से जुड़ी हजारों महिलाओं को भी काम मिलेगा।
200 करोड़ का मिलेगा रोजगार
सरकार का अनुमान है कि इस योजना के तहत जीविका समूह की महिलाओं को करीब 200 करोड़ रुपये का काम मिलेगा। यह पहल महिलाओं के लिए एक आर्थिक अवसर बनेगी, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकेंगी और उनके परिवार की आमदनी में भी इजाफा होगा।
पहले मिलती थी केवल आर्थिक सहायता
अब तक बच्चों को कपड़ों के लिए सालाना 400 रुपये की राशि दी जाती थी। इससे पहले यह सहायता मात्र 250 रुपये थी। हालांकि, यह राशि सीधे अभिभावकों को दी जाती थी, जिससे अक्सर बच्चों तक इसका सही लाभ नहीं पहुंच पाता था। कई बार यह पैसा अन्य जरूरतों में खर्च हो जाता था और बच्चे बिना पोशाक के ही आंगनबाड़ी केंद्र आते थे।
अब समय पर मिलेगा रेडीमेड कपड़ा
अब यह व्यवस्था की गई है कि रेडीमेड कपड़े जीविका समूह द्वारा तैयार कर सीधे आंगनबाड़ी केंद्रों में पहुंचाए जाएंगे। इससे गुणवत्ता और वितरण दोनों पर निगरानी संभव होगी। जीविका और समाज कल्याण विभाग के बीच इसको लेकर 1 जुलाई को एक समझौता भी हुआ है, जिसके तहत दो महीनों के अंदर पोशाक तैयार करनी होगी।
बच्चों के साथ महिलाओं को भी लाभ
यह योजना जहां एक ओर बच्चों के लिए लाभकारी साबित होगी, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण महिलाओं के लिए भी यह एक बड़ा अवसर बनेगी। जीविका समूह की महिलाएं इस योजना के तहत सिलाई जैसे कार्यों में जुड़कर आर्थिक रूप से सशक्त होंगी, जो सरकार के महिला सशक्तिकरण के एजेंडे को भी मजबूती देगा।
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