किन्हें मिलेगा लाभ?
यह योजना उन सरकारी कर्मचारियों के लिए है जिन्होंने न्यूनतम पांच वर्षों की नियमित सेवा पूरी कर ली है। साथ ही, लोन की पात्रता तय करने के लिए तीन मानकों को ध्यान में रखा जाएगा: कर्मचारी के 34 महीने का मूल वेतन, अधिकतम 25 लाख रुपये, और भवन की वास्तविक लागत। इनमें जो भी राशि सबसे कम होगी, वही लोन की अधिकतम सीमा मानी जाएगी।
लोन की शर्तें और भुगतान अवधि
लोन की वापसी ब्याज समेत अधिकतम 20 वर्षों में करनी होगी। इसके अलावा, जिस भवन के लिए लोन लिया जाएगा, उसकी लागत कर्मचारी के मूल वेतन की 139 गुना या अधिकतम 1 करोड़ रुपये हो सकती है। यदि लागत अधिक हो, तो उसमें 24% तक की अतिरिक्त वृद्धि की अनुमति है, जिससे कर्मचारी उच्च गुणवत्ता वाले घर की ओर रुख कर सकेंगे।
मकान की मरम्मत और विस्तार के लिए भी लोन
यह सुविधा केवल नए मकान की खरीद या निर्माण तक ही सीमित नहीं है। जो कर्मचारी पहले से मकान के मालिक हैं, वे मरम्मत या विस्तार के लिए अधिकतम 10 लाख रुपये तक का लोन ले सकते हैं। इस लोन की भुगतान अवधि 10 वर्ष होगी।
स्वामित्व और पुराने लोन का निपटारा अनिवार्य
नए लोन की मंजूरी के लिए यह जरूरी होगा कि भवन का स्वामित्व कर्मचारी या उसके जीवनसाथी के नाम पर हो। इसके अलावा, यदि किसी कर्मचारी पर पहले से सरकारी आवास लोन बकाया है, तो उसे चुकाए बिना नया लोन नहीं मिलेगा। भवन का पंजीकरण, बीमा और अन्य कानूनी प्रक्रियाएं समय पर पूरी करनी होंगी।
सरकार का उद्देश्य: कर्मचारी कल्याण और स्थायित्व
इस फैसले से कर्मचारियों को वित्तीय राहत मिलेगी और वे ऊंची ब्याज दर वाले निजी लोन से बच सकेंगे। साथ ही, सरकारी सेवा में स्थायित्व और संतोष भी बढ़ेगा, जो दीर्घकालिक रूप से राज्य के प्रशासनिक ढांचे को मजबूती देगा।
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