भारत में बनेगा 'तेजस MK-2' का दमदार इंजन

नई दिल्ली। भारत की सैन्य क्षमताओं को एक नई ऊंचाई देने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। HAL और अमेरिका की दिग्गज एयरोस्पेस कंपनी GE के बीच हुए करार के तहत अब भारत में ही LCA MK-2 फाइटर जेट के लिए GE F414 इंजन का निर्माण किया जाएगा। यह सिर्फ एक डिफेंस डील नहीं, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मजबूत पहल है।

क्या है GE-HAL डील की अहमियत?

हाल ही में हुए इस करार का सबसे खास पहलू है 80% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर। इसका मतलब यह है कि इंजन निर्माण से जुड़ी अधिकांश तकनीक भारत को हस्तांतरित की जाएगी। यानी अब भारत सिर्फ कलपुर्जे नहीं जोड़ेगा, बल्कि पूरी तकनीक के साथ इंजन का निर्माण करेगा। इससे भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता न सिर्फ मजबूत होगी, बल्कि भविष्य में निर्यात की दिशा में भी नए रास्ते खुलेंगे।

LCA MK-2: भारत का अगली पीढ़ी का फाइटर जेट

LCA MK-2, जिसे तेजस मार्क-2 भी कहा जाता है, भारतीय वायुसेना के पुराने लड़ाकू विमानों जैसे मिराज-2000 और जगुआर की जगह लेने के लिए तैयार किया जा रहा है। इसमें पहले की तुलना में कई उन्नत तकनीकें होंगी: बेहतर एवियोनिक्स और रडार सिस्टम, 6.5 टन तक हथियार या अन्य पेलोड ले जाने की क्षमता (जो MK1A से लगभग दोगुनी है), अधिक फ्यूल कैपेसिटी और रेंज, ज्यादा युद्धक ताकत और बहुउद्देशीय क्षमता।

GE F414 इंजन की ताकत लगभग 98 किलो न्यूटन है, जो पहले इस्तेमाल हो रहे F404 इंजन (84 kN) से कहीं अधिक है। इससे LCA MK-2 न केवल अधिक पेलोड उठाने में सक्षम होगा, बल्कि उसकी स्पीड, क्लाइंब रेट और मिशन क्षमता भी बेहतर होगी।

रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता भारत

यह डील आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए एक मील का पत्थर है। इंजन निर्माण भारत में होने से देश को कई फायदे होंगे: विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम होगी, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, प्राइवेट इंडस्ट्री, खासकर MSMEs, को बड़ा बूस्ट मिलेगा, नई तकनीक में भारत की पकड़ मजबूत होगी। HAL ने पहले ही 410 भारतीय सप्लायर्स को इस प्रोजेक्ट से जोड़ा है, जिनमें 270 से अधिक छोटे और मध्यम उद्यम (SMEs) शामिल हैं।

0 comments:

Post a Comment