340 किलोमीटर की रेंज: दुश्मनों का काल
‘गांडीव’ की सबसे खास बात इसकी 340 किलोमीटर तक की लंबी मारक क्षमता है, जो इसे वर्तमान समय में विश्व की सबसे लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइलों में शुमार करती है। यह क्षमता इसे दुश्मन के लड़ाकू विमानों को उनकी सीमा में ही नष्ट करने की ताकत देती है, जिससे भारतीय वायुसेना को रणनीतिक बढ़त मिलती है।
यह मिसाइल आत्मनिर्भर भारत की उड़ान
DRDO द्वारा विकसित यह मिसाइल पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। इसका निर्माण 'मेक इन इंडिया' के तहत किया गया है, जो भारत को विदेशी हथियारों पर निर्भरता से मुक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
तकनीकी विशेषताएं: आधुनिक युद्ध की तैयारी
1 .दोहरे ईंधन वाला रैमजेट इंजन: यह इंजन मिसाइल को अधिक दूरी और ऊंचाई से लॉन्च करने की क्षमता देता है। यह मिसाइल समुद्र तल से लेकर 20 किलोमीटर की ऊंचाई तक से प्रक्षेपित की जा सकती है।
2 .2.0 से 3.6 मैक की गति: ‘गांडीव’ ध्वनि की गति से तीन गुना तेज़ उड़ान भरती है, जिससे यह अपने लक्ष्य को तेजी से नष्ट कर सकती है।
3 .एयर-टू-एयर कॉम्बैट: इसे विशेष रूप से लड़ाकू विमानों के बीच होने वाले BVR डॉगफाइट के लिए तैयार किया गया है।
वायुसेना में तैनाती से बढ़ेगी मारक क्षमता
‘गांडीव’ को निकट भविष्य में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों जैसे Su-30MKI, Tejas Mk1A और राफेल में तैनात किया जाएगा। इससे भारत को न केवल हवाई युद्ध में बढ़त मिलेगी, बल्कि यह शत्रु देशों के विमानों को उनके आकाश में ही निशाना बना सकेगा।
रणनीतिक बढ़त और सुरक्षा की गारंटी
‘गांडीव’ सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि यह भारत की बढ़ती सामरिक ताकत, तकनीकी श्रेष्ठता और आत्मनिर्भरता की जीती-जागती मिसाल है। यह मिसाइल न केवल युद्ध के दौरान बल्कि शांति के समय में भी एक बड़ा मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने का काम करेगी।
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