ऐसी स्थिति में यदि हर दिन कुछ समय निकालकर इन ग्रहों की शांति के लिए विशिष्ट मंत्रों का जाप किया जाए, तो इनके अशुभ प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। आइए जानते हैं नवग्रहों के दोषों और उनके शांति मंत्रों के बारे में:
1. सूर्य दोष
सूर्य को ऊर्जा, आत्मबल और प्रतिष्ठा का कारक माना गया है। यदि सूर्य कुंडली में अशुभ हो, तो व्यक्ति को बार-बार बीमारियाँ घेर सकती हैं, आत्मविश्वास की कमी हो जाती है और मान-सम्मान में हानि होती है।
उपाय: प्रतिदिन सूर्योदय के समय 108 बार तुलसी की माला से इस मंत्र का जाप करें: "ॐ सूं सूर्याय नमः"
2. चंद्र दोष
चंद्रमा मन और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी अशुभ स्थिति से मानसिक तनाव, बेचैनी, पेट रोग और आत्मविश्वास की कमी देखने को मिलती है।
उपाय: चंद्र दोष की शांति के लिए रोज़ 108 बार जाप करें: "ॐ सों सोमाय नमः"
3. मंगल दोष
मंगल को साहस, ऊर्जा और विवाह का कारक माना गया है। मांगलिक दोष होने पर वैवाहिक जीवन में तनाव, संतान-सुख में बाधा और क्रोध की अधिकता हो सकती है।
उपाय: नियमित रूप से 251 बार इस मंत्र का जाप करें: "ॐ भौं भौमाय नमः"
4. बुध दोष
बुध ग्रह बुद्धि, वाणी और व्यापार का प्रतिनिधि है। इसकी अशुभ स्थिति से बोलचाल में रुकावट, व्यापार में घाटा और संबंधों में खटास आ सकती है।
उपाय: रोज़ सुबह इस मंत्र का 108 बार जाप करें: "ॐ बुं बुधाय नमः"
5. गुरु दोष
गुरु ग्रह ज्ञान, शिक्षा और भाग्य का कारक है। जब यह अशुभ होता है, तो विवाह, करियर और आर्थिक स्थिति में समस्याएं आती हैं।
उपाय: हर रोज़ 1000 बार इस मंत्र का जाप करें: "ॐ बृं बृहस्पतये नमः"
6. शुक्र दोष
शुक्र भौतिक सुख, प्रेम संबंध और वैवाहिक जीवन का प्रतीक है। इसका दोष त्वचा रोग, प्रजनन समस्या और दांपत्य जीवन में कलह का कारण बन सकता है।
उपाय: शुक्र दोष शांति के लिए इस मंत्र का 108 बार जाप करें: "ॐ शुं शुक्राय नमः"
7. शनि दोष
शनि को कर्मों का दाता कहा गया है। इसका अशुभ प्रभाव जीवन में देरी, दुख, संघर्ष और मानसिक पीड़ा लाता है। शनि की साढ़े साती और ढैय्या विशेष रूप से कष्टकारी मानी जाती है।
उपाय: प्रतिदिन 108 बार इस मंत्र का जाप करें: "ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः"
8. राहू दोष
राहू छाया ग्रह है और भ्रम, आकस्मिक घटनाओं, दुर्घटनाओं और कानूनी विवादों का कारण बन सकता है।
उपाय: सुबह-शाम इस मंत्र का 108 बार जाप करें: "ॐ रां राहवे नमः"
9. केतु दोष
केतु भी छाया ग्रह है और रहस्यमयी घटनाओं, आकस्मिक हानि और आध्यात्मिक उलझनों का कारण बनता है।
उपाय: सुबह-शाम इस मंत्र का 108 बार जाप करें: "ॐ कें केतवे नमः"
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