ASAT मिसाइल: अंतरिक्ष में भी अब भारत की मारक क्षमता
साल 2019 में भारत ने "मिशन शक्ति" के तहत एंटी-सैटेलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया। इस ऑपरेशन में एक लाइव सैटेलाइट को पृथ्वी की निचली कक्षा में सफलतापूर्वक निशाना बनाकर नष्ट किया गया। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश बना, जिसके पास यह तकनीक है। यह परीक्षण भारत की अंतरिक्ष सुरक्षा क्षमता का बड़ा संकेत था।
हाइपरसोनिक मिसाइल: तेजी से बढ़ता भारत
भारत हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में भी लगातार प्रगति कर रहा है। DRDO ने सफलतापूर्वक हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का परीक्षण किया है। यह तकनीक मिसाइलों को 5 मैक से अधिक गति (ध्वनि की गति से 5 गुना तेज) से उड़ने की क्षमता देती है। अमेरिका, चीन और रूस इस क्षेत्र में पहले से अग्रणी हैं, लेकिन भारत अब इस स्पर्धा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
ICBM: भारत का बढ़ता सामरिक कद
भारत की "अग्नि" श्रृंखला की मिसाइलें पहले ही अपनी विश्वसनीयता साबित कर चुकी हैं। "अग्नि-V", जो कि इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, 5,000 किमी से ज्यादा की दूरी तक मार कर सकती है और इसमें मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक शामिल की जा रही है। यह तकनीक भारत को विश्व के सीमित ICBM-संपन्न देशों की सूची में रखती है।
SLBM: समंदर से दुश्मन पर सटीक वार
भारत ने "के-15" और "के-4" जैसी सबमरीन-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइलों (SLBMs) का सफल परीक्षण कर यह साबित कर दिया है कि वह थल, वायु और अब जल व अंतरिक्ष में भी अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह तैयार है। परमाणु-सज्जित पनडुब्बियों से दागी जा सकने वाली ये मिसाइलें भारत की "न्यूक्लियर ट्रायड" (Nuclear Triad) को पूर्णता प्रदान करती हैं।
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