यह अभियान एक तीन-चरणीय प्रक्रिया के अंतर्गत संचालित किया जाएगा, जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि सभी गतिविधियां संगठित, प्रभावी और नागरिक हित में हों।
तीन चरणों में चलेगा अभियान
प्रथम चरण (18 जुलाई – 14 अगस्त): तैयारी और योजना
इस प्रारंभिक चरण में अभियान की रणनीति तय की जाएगी। अधिकारियों द्वारा क्षेत्रवार समीक्षा, आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था और कर्मचारियों का प्रशिक्षण कराया जाएगा। साथ ही, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को इसके प्रति सतर्क किया जाएगा।
द्वितीय चरण (16 अगस्त – 20 सितंबर): जमीनी कार्यवाही
यह चरण सबसे महत्वपूर्ण है, जहां घर-घर जाकर भूमि से संबंधित शिकायतें, दस्तावेजों की जांच और नागरिकों के आवेदन लिए जाएंगे। मौके पर ही विवादों के प्राथमिक समाधान की कोशिश की जाएगी। यह चरण जनता और प्रशासन के बीच संवाद को मजबूत करने वाला होगा।
तृतीय चरण (21 सितंबर – 30 अक्टूबर): समीक्षा और निष्पादन
अंतिम चरण में प्राप्त आवेदनों और शिकायतों की अनुवर्ती जांच और लंबित मामलों के समाधान पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके अंतर्गत न केवल फॉलो-अप किया जाएगा, बल्कि जिन मामलों में निर्णय नहीं हो सका, उनके त्वरित निष्पादन के लिए समीक्षा बैठकों का आयोजन भी किया जाएगा।
प्रशासनिक निर्देश और नागरिकों की भागीदारी
राज्य सरकार ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे समन्वय बनाकर तेजी से समाधान सुनिश्चित करें। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी नागरिक भूमि रिकॉर्ड सुधार की प्रक्रिया से वंचित न रह जाए। यह अभियान केवल एक प्रशासनिक कवायद नहीं, बल्कि जनभागीदारी का एक उदाहरण बनने की दिशा में अग्रसर है।
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