ब्रह्मोस बनाम टॉमहॉक: कौन बेहतर क्रूज मिसाइल है?

नई दिल्ली। आधुनिक सैन्य रणनीति में क्रूज मिसाइलें एक केंद्रीय भूमिका निभा रही हैं। ये हथियार दुश्मन की सीमा के भीतर सटीक हमले करने की क्षमता प्रदान करते हैं, वह भी बिना पायलट या सैनिकों को जोखिम में डाले। विश्व स्तर पर दो प्रमुख क्रूज मिसाइलें हैं — भारत-रूस द्वारा विकसित ब्रह्मोस, और अमेरिका की प्रसिद्ध टॉमहॉक। दोनों की तकनीकी विशेषताएं, उपयोगिता और रणनीतिक दृष्टिकोण में स्पष्ट अंतर हैं। आइए इन दोनों मिसाइलों की गहराई से तुलना करें।

1. गति: ब्रह्मोस की तेज़ रफ्तार बनाम टॉमहॉक की चुपके चाल

ब्रह्मोस की सबसे उल्लेखनीय विशेषता इसकी सुपरसोनिक गति है। यह मिसाइल लगभग मैक 2.8 से 3.0 की गति से उड़ान भरती है, जो इसे अविश्वसनीय रूप से तेज़ बनाती है। इस गति के कारण दुश्मन की वायु रक्षा प्रणालियों को प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत कम समय मिलता है।

इसके उलट, टॉमहॉक की गति सबसोनिक है — लगभग मैक 0.74। हालांकि यह ब्रह्मोस से काफी धीमी है, लेकिन इसकी उड़ान पथ बेहद नीची होती है, जिससे यह दुश्मन के रडार से बचने में सक्षम होती है। इसका चुपके से वार करना इसे लंबे समय तक मिशनों के लिए उपयुक्त बनाता है।

2. रेंज: कौन मारता है दूर तक?

टॉमहॉक की रेंज इसे रणनीतिक हथियार बनाती है। इसके नवीनतम संस्करण 2,400 किलोमीटर तक लक्ष्य भेद सकते हैं, जो इसे युद्ध की शुरुआती अवस्था में ही महत्वपूर्ण टारगेट्स को खत्म करने की क्षमता देता है।

ब्रह्मोस की शुरुआती रेंज 500 किलोमीटर तक सीमित थी, लेकिन भारत के MTCR में शामिल होने के बाद इसकी सीमा बढ़ाकर 800 किलोमीटर या उससे भी अधिक कर दी गई है। साथ ही, ब्रह्मोस-II जैसे हाइपरसोनिक संस्करणों पर काम चल रहा है, जो इसे और अधिक लंबी दूरी व उच्च गति प्रदान करेगा।

3. मार्गदर्शन प्रणाली: सटीकता में किसका जवाब नहीं?

टॉमहॉक अपने जटिल मार्गदर्शन तंत्र के लिए जाना जाता है। इसमें GPS, INS, TERCOM और DSMAC जैसी तकनीकों का प्रयोग होता है, जिससे यह बेहद सटीक हमले करने में सक्षम होती है — विशेष रूप से ऐसे इलाकों में जहां GPS उपलब्ध न हो।

ब्रह्मोस भी सटीकता में कम नहीं है। यह इनर्शियल नेविगेशन, उपग्रह मार्गदर्शन और एक्टिव रडार होमिंग का मिश्रण उपयोग करता है। इसके नवीनतम संस्करणों में टारगेट की पहचान और ट्रैकिंग में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, खासकर चलते-फिरते लक्ष्यों के लिए।

4. युद्ध उपयोग और विश्वसनीयता

टॉमहॉक का युद्ध क्षेत्र में परीक्षण किया जा चुका है। इसे खाड़ी युद्ध, लीबिया, सीरिया, और अफगानिस्तान में अमेरिकी सेनाओं द्वारा बार-बार उपयोग किया गया है। इसका यह व्यापक उपयोग इसे एक अनुभवी और भरोसेमंद हथियार बनाता है।

ब्रह्मोस का युद्धकालीन उपयोग हाल में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ हुआ हैं। यह मिसाइल भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना में सेवा में है। विशेष रूप से Su-30MKI फाइटर जेट से दागा गया वर्जन इसकी रणनीतिक पहुंच को और बढ़ाता है।

5. रणनीतिक उद्देश्य: कौन कहां चमकता है?

टॉमहॉक की रणनीति लंबी दूरी से प्रारंभिक आक्रमण की है। यह युद्ध की शुरुआत में कमांड सेंटर्स, रडार स्टेशनों, और अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट करने के लिए आदर्श है।

ब्रह्मोस की रणनीति त्वरित और सटीक जवाबी कार्रवाई पर केंद्रित है। यह विशेष रूप से नौसेना अभियानों और सीमा पार लक्ष्यों के विरुद्ध उपयोगी है, जहाँ उच्च गति और त्वरित प्रतिक्रिया जरूरी होती है।

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