यूपी में 'किसानों' के लिए एक बड़ी खुशखबरी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। योगी सरकार ने प्रदेश के 62 जिलों में लंबे समय से बंद पड़े 1750 असफल राजकीय नलकूपों के पुनर्निर्माण की महत्वाकांक्षी योजना को हरी झंडी दे दी है। गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई। योजना पर अनुमानित 561.20 करोड़ रुपये की लागत आएगी, जिसे आगामी दो वर्षों — वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2026-27 — के भीतर पूरा किया जाएगा।

1.75 लाख हेक्टेयर में फिर बहाल होगी सिंचाई क्षमता

इस परियोजना के तहत जिन नलकूपों का पुनर्निर्माण किया जाएगा, उनके माध्यम से लगभग 1.75 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा फिर से सुलभ हो सकेगी। इससे करीब 2.39 लाख कृषक परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। सरकार की यह पहल विशेष रूप से लघु एवं सीमांत किसानों के लिए एक बड़ी राहत मानी जा रही है।

नहर विहीन क्षेत्रों को दी गई प्राथमिकता

परियोजना के लिए उन्हीं क्षेत्रों का चयन किया गया है, जहां नहरों के माध्यम से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे इलाकों में नलकूपों की निर्भरता अधिक होती है। यह निर्णय ऐसे किसानों के लिए एक वरदान साबित होगा, जिनकी आजीविका पूरी तरह वर्षा आधारित खेती पर निर्भर है।

कैसे तय होते हैं असफल नलकूप?

वर्तमान में प्रदेश में 36,094 राजकीय नलकूप कार्यरत हैं। वहीं 1750 नलकूप ऐसे हैं जो या तो जल निकास क्षमता खो चुके हैं या तकनीकी रूप से विफल हो चुके हैं। सिंचाई विभाग की मानें तो जो नलकूप 17 वर्षों या 57,000 घंटे की निर्धारित सीमा पार कर चुके हैं और जिनसे जल निकास न्यूनतम हो गया है, उन्हें ‘असफल’ श्रेणी में रखा जाता है।

रोजगार और कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी

इस परियोजना से न सिर्फ सिंचाई व्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। अनुमान है कि इससे 16.13 लाख मानव-दिवसों का रोजगार सृजन होगा। प्रति हेक्टेयर सिंचाई लागत लगभग ₹32,369 रुपये आंकी गई है।

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