1.75 लाख हेक्टेयर में फिर बहाल होगी सिंचाई क्षमता
इस परियोजना के तहत जिन नलकूपों का पुनर्निर्माण किया जाएगा, उनके माध्यम से लगभग 1.75 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा फिर से सुलभ हो सकेगी। इससे करीब 2.39 लाख कृषक परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। सरकार की यह पहल विशेष रूप से लघु एवं सीमांत किसानों के लिए एक बड़ी राहत मानी जा रही है।
नहर विहीन क्षेत्रों को दी गई प्राथमिकता
परियोजना के लिए उन्हीं क्षेत्रों का चयन किया गया है, जहां नहरों के माध्यम से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे इलाकों में नलकूपों की निर्भरता अधिक होती है। यह निर्णय ऐसे किसानों के लिए एक वरदान साबित होगा, जिनकी आजीविका पूरी तरह वर्षा आधारित खेती पर निर्भर है।
कैसे तय होते हैं असफल नलकूप?
वर्तमान में प्रदेश में 36,094 राजकीय नलकूप कार्यरत हैं। वहीं 1750 नलकूप ऐसे हैं जो या तो जल निकास क्षमता खो चुके हैं या तकनीकी रूप से विफल हो चुके हैं। सिंचाई विभाग की मानें तो जो नलकूप 17 वर्षों या 57,000 घंटे की निर्धारित सीमा पार कर चुके हैं और जिनसे जल निकास न्यूनतम हो गया है, उन्हें ‘असफल’ श्रेणी में रखा जाता है।
रोजगार और कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी
इस परियोजना से न सिर्फ सिंचाई व्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। अनुमान है कि इससे 16.13 लाख मानव-दिवसों का रोजगार सृजन होगा। प्रति हेक्टेयर सिंचाई लागत लगभग ₹32,369 रुपये आंकी गई है।
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