टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं
नए इनकम टैक्स बिल को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा टैक्स स्लैब में संभावित बदलाव को लेकर हो रही थी, लेकिन आयकर विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसका मतलब यह है कि जो कर दरें अभी लागू हैं, वही आगे भी लागू रहेंगी। बिल का मुख्य उद्देश्य कानून की भाषा को सरल बनाना, अनावश्यक प्रावधानों को हटाना, और कर प्रक्रिया को अधिक सहज बनाना है।
करदाताओं को बड़ी राहत:
1 .टीडीएस रिफंड पर दावा करने की समयसीमा लचीली की जाएगी। अब करदाता आईटीआर की अंतिम तिथि के बाद भी, बिना जुर्माने के, रिफंड का दावा कर सकेंगे।
2 .ऐसे व्यक्ति जिनके लिए आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य नहीं है, वे भी टीडीएस रिफंड प्राप्त करने के पात्र होंगे, भले ही उन्होंने निर्धारित समय सीमा में रिटर्न न भरा हो।
3 .निर्माण-पूर्व ब्याज पर कटौती अब केवल स्व-निवासीय संपत्तियों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि किराए पर दी गई संपत्तियों पर भी लागू होगी।
4 .रिहायशी संपत्तियों पर 30% की मानक कटौती अब नगरपालिका करों की कटौती के बाद की जाएगी।
5 .निर्माण-पूर्व ब्याज की कटौती को अब किराए पर दी गई संपत्तियों तक बढ़ाने की सिफारिश की गई है।
6 .घरों की आय पर मानक कटौती अब नगरपालिका करों की कटौती के बाद दी जाएगी।
‘पिछले वर्ष’ और ‘आकलन वर्ष’ की अवधारणा समाप्त
अब तक टैक्स प्रणाली में ‘पिछले वर्ष’ (Previous Year) और ‘कर निर्धारण वर्ष’ (Assessment Year) की दोहरी व्यवस्था थी। उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2023-24 की कमाई पर कर भुगतान 2024-25 में किया जाता था। लेकिन नए बिल में इस व्यवस्था को हटाकर केवल एक शब्द – ‘कर वर्ष’ (Tax Year) – को अपनाया गया है। इससे करदाताओं के लिए यह स्पष्ट होगा कि किस साल की कमाई पर किस साल टैक्स देना है।
नया कानून: छोटा लेकिन अधिक प्रभावी
नया इनकम टैक्स बिल पुराने कानून की तुलना में अधिक संक्षिप्त और सरल है। आंकड़ों पर नज़र डालें तो: पुराने कानून में 5.12 लाख शब्द थे, जबकि नए बिल में केवल 2.6 लाख शब्द हैं। धाराओं की संख्या 819 से घटाकर 536 कर दी गई है। अध्यायों की संख्या भी 47 से घटकर अब केवल 23 रह गई है। इस बदलाव से उम्मीद की जा रही है कि मुकदमेबाजी की संभावनाएं कम होंगी, और लोगों को कानून की बेहतर समझ हो सकेगी।
संसदीय प्रक्रिया और अगला कदम
यह नया बिल 13 फरवरी 2025 को पहली बार लोकसभा में पेश किया गया था। इसके बाद इसे समीक्षा के लिए बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति को सौंपा गया। समिति ने जुलाई 2025 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी, जिसमें कई अहम सिफारिशें की गई थीं। अब इनमें से अधिकांश को शामिल करते हुए नया संस्करण तैयार किया गया है, जिसे 11 अगस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदन में पेश करेंगी।
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