क्या है ‘घरौनी’?
‘घरौनी’ दरअसल एक ऐसा दस्तावेज़ है जो ग्रामीण आबादी क्षेत्र में किसी व्यक्ति के स्वामित्व वाली भूमि या मकान की पहचान करता है। यह डिजिटल माध्यम से तैयार किया गया नक्शा और रिकार्ड होता है जो उस भूखंड या आवासीय संपत्ति का प्रमाणिक स्वामित्व दर्शाता है।
नया विधेयक: ग्रामीण पहचान
उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक-2025’ के प्रारूप को कैबिनेट से मंजूरी दे दी है। अब इसे विधानमंडल में प्रस्तुत किया जाएगा। इस विधेयक के माध्यम से ‘घरौनी’ को एक वैध संपत्ति दस्तावेज़ का दर्जा दिया जाएगा। अब तक राज्य में 1 करोड़ से अधिक घरौनियां तैयार हो चुकी हैं, जिनमें से अधिकांश ग्रामीणों को वितरित भी कर दी गई हैं। यह कदम केंद्र सरकार की ‘स्वामित्व योजना’ के अंतर्गत लिया गया है, जिसमें ड्रोन तकनीक की मदद से गाँवों का सर्वेक्षण कर संपत्ति का डिजिटलीकरण किया जा रहा है।
प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता
नई व्यवस्था के तहत यूपी में अब से राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार और नायब तहसीलदार को अधिकृत किया गया है कि वे घरौनी में नामांतरण अथवा संशोधन जैसे कार्यों को कर सकें, बशर्ते मामला निर्विवाद हो। इससे प्रक्रिया सरल, तेज़ और पारदर्शी होगी।
घरौनी के माध्यम से मिलेंगी ये सुविधाएं:
1 .बैंक लोन की सुविधा: ग्रामीण अब घरौनी के आधार पर बैंक से ऋण प्राप्त कर सकेंगे।
2 .नामांतरण में आसानी: उत्तराधिकार, विक्रय, वसीयत या अदालत के आदेश पर घरौनी में नाम परिवर्तन आसान हो जाएगा।
3 .दस्तावेज़ों में संशोधन: यदि घरौनी में किसी प्रकार की त्रुटि है—जैसे पता, नाम या फोन नंबर—तो उन्हें सुधारने की प्रक्रिया विधेयक के माध्यम से तय की जाएगी।
4 .पारिवारिक समझौते को मान्यता: लिखित पारिवारिक समझौते के आधार पर भी नामांतरण संभव होगा, जिससे परिवारों में विवाद की संभावनाएं कम होंगी।
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