अमेरिका के साथ तनाव और नए समीकरण
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर आयात शुल्क बढ़ाने और रूस से करीबी संबंधों को लेकर चेतावनियों के बाद भारत ने स्पष्ट रूप से "रणनीतिक स्वायत्तता" का रुख अपनाया है। रूस से तेल खरीद जारी रखना और पश्चिमी दबाव के बावजूद रक्षा सहयोग बनाए रखना इस बात का प्रमाण है। अमेरिका की "या तो हमारे साथ या हमारे खिलाफ" वाली नीति अब उतनी प्रभावी नहीं रह गई है, खासकर उन देशों के लिए जो वैश्विक संतुलन में अपनी स्वतंत्र भूमिका चाहते हैं।
भारत-चीन रिश्तों में बदलता स्वर
2020 के गलवान संघर्ष के बाद पहली बार प्रधानमंत्री मोदी का चीन दौरा हो रहा है, जो दोनों देशों के बीच एक नई समझ और संवाद की पहल का संकेत देता है। इससे पहले रक्षा मंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर भी चर्चाएं हुई हैं। हालांकि, सीमा विवाद, आर्थिक प्रतिस्पर्धा और रणनीतिक अविश्वास अब भी बरकरार हैं, लेकिन वार्ता की मेज पर वापसी एक सकारात्मक संकेत है।
रूस-भारत सहयोग: दोस्ती की मजबूती
रूस और भारत का द्विपक्षीय संबंध हमेशा रणनीतिक गहराई लिए रहा है। रक्षा, ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच भरोसा बना हुआ है। ब्रह्मोस मिसाइल, S-400 डिफेंस सिस्टम और ऊर्जा आपूर्ति जैसे प्रोजेक्ट्स इस सहयोग की नींव को और मजबूत कर रहे हैं। राष्ट्रपति पुतिन का बार-बार भारत दौरा इस बात को रेखांकित करता है कि दोनों देशों के रिश्ते केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनमें रणनीतिक गहराई भी है।
RIC समूह की वापसी: बहुध्रुवीय विश्व की ओर
भारत, रूस और चीन का त्रिकोणीय RIC समूह, जो लंबे समय से निष्क्रिय पड़ा था, अब फिर से चर्चा में है। इन तीनों देशों का अमेरिका से असहजता के अनुभव ने उन्हें साथ लाने का काम किया है। जहां चीन और रूस अमेरिका के सामरिक प्रतिद्वंद्वी हैं, वहीं भारत की स्थिति थोड़ी संतुलित है। भारत ना तो पूरी तरह अमेरिका के खेमे में है और ना ही रूस-चीन की धुरी में शामिल है। उसकी रणनीति "गठबंधन में नहीं, सहयोग में विश्वास" की रही है।
संतुलन की चुनौतियाँ
भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह किस हद तक चीन और रूस के साथ घनिष्ठता बढ़ाए बिना अपने पश्चिमी साझेदारों को नाराज किए बिना चल सकता है। चीन के साथ सीमा विवाद और व्यापारिक असमानताएं अब भी भारत के लिए एक गंभीर चुनौती हैं। वहीं, रूस के साथ गहरे संबंध भारत को पश्चिमी पाबंदियों और आलोचनाओं के घेरे में ला सकते हैं।
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