मालिकाना हक की वैधता अब घरौनी से तय होगी
अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी के भीतर स्थित मकानों या भूमि का कोई पुख्ता सरकारी दस्तावेज़ नहीं होता था। इससे ग्रामीणों को बैंक लोन, कानूनी संरक्षण या संपत्ति से जुड़े किसी भी अधिकार में मुश्किलें आती थीं। लेकिन नए कानून के तहत 'घरौनी' को वैध दस्तावेज़ का दर्जा मिलेगा, जिससे ग्रामीणों को उनकी जमीन पर पूर्ण अधिकार प्राप्त होगा।
नामांतरण व रिकॉर्ड अपडेट की प्रक्रिया होगी आसान
नई व्यवस्था के अंतर्गत यदि किसी जमीन की वरासत, बिक्री, उपहार, वसीयत, नीलामी या पारिवारिक समझौते के तहत मालिकाना हक में बदलाव होता है, तो राजस्व निरीक्षक, कानूनगो, तहसीलदार और नायब तहसीलदार को इसके अनुसार घरौनी रिकॉर्ड में बदलाव का अधिकार मिलेगा। इससे ग्रामीणों को अब छोटे-छोटे बदलावों के लिए महीनों तहसील के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
अब बैंकों से मिलेगा लोन, बदलेगी गांव की तस्वीर
नए विधेयक के लागू होने के बाद अब ग्रामीणों को अपने घर या ज़मीन के बदले बैंकों से ऋण प्राप्त करने में आसानी होगी। इससे स्वरोजगार, शिक्षा, इलाज और मकान निर्माण जैसे कार्यों के लिए आर्थिक मदद मिल सकेगी। लंबे समय से गांवों में संपत्ति को लेकर बनी असुरक्षा की स्थिति खत्म होगी।
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