योजना का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य सड़क हादसों में घायल व्यक्तियों को तुरंत और मुफ्त इलाज उपलब्ध कराना है, ताकि उनकी जान बचाई जा सके। अक्सर देखा गया है कि सड़क दुर्घटनाओं के बाद घायलों को अस्पताल पहुंचाने में देरी होती है या इलाज के लिए खर्च की समस्या आती है। इस नई योजना के तहत, घायलों को इलाज देने में कोई भी रुकावट नहीं आएगी, और न ही अस्पतालों में शुल्क की मांग की जाएगी।
इलाज की प्रक्रिया
पायलट प्रोजेक्ट के तहत, इसे कुछ राज्यों में पहले ही सफलतापूर्वक लागू किया गया है। जब कोई व्यक्ति सड़क दुर्घटना में घायल होता है, तो उसे पुलिस, किसी आम नागरिक या संस्था द्वारा नजदीकी अस्पताल में लाया जाएगा। अस्पताल में प्रवेश के बाद, इलाज तुरंत शुरू हो जाएगा, और घायल को किसी भी प्रकार की फीस का भुगतान नहीं करना होगा। यह नियम प्राइवेट और सरकारी दोनों प्रकार के अस्पतालों पर लागू होगा, और यह कैशलेस इलाज सुनिश्चित करेगा।
कानून और प्रबंधन
इस योजना के लिए मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 162 में पहले ही संशोधन किया जा चुका है। यह संशोधन यह सुनिश्चित करता है कि सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को इलाज का अधिकार मिले, चाहे उनके पास किसी भी प्रकार की चिकित्सा बीमा हो या न हो। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को इस योजना के संचालन का जिम्मा सौंपा गया है, और यह नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा।
प्राइवेट अस्पतालों के लिए अनिवार्यता
यह योजना प्राइवेट अस्पतालों के लिए भी अनिवार्य होगी। अब अस्पतालों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे सड़क हादसों में घायल व्यक्तियों को बिना किसी शुल्क के इलाज प्रदान करें। इससे यह सुनिश्चित होगा कि निजी अस्पताल भी इस मानवीय कार्य में सरकार के साथ मिलकर काम करेंगे।
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