सफल परीक्षण और रणनीतिक संदेश
इस मिसाइल का परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) से किया गया, जिसे स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड ने अंजाम दिया। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह परीक्षण सभी ऑपरेशनल और टेक्नोलॉजिकल मानकों पर पूरी तरह सफल रहा और इससे यह भी सिद्ध हुआ कि मिसाइल अब पूरी तरह से तैनाती के लिए तैयार है।
भारत की लंबी पहुंच: एशिया से अफ्रीका तक
अग्नि-V की सबसे बड़ी ताकत इसकी 5500 किलोमीटर तक की मारक क्षमता है। इसका मतलब है कि अब भारत के निशाने पर सिर्फ पड़ोसी देश ही नहीं, बल्कि एशिया, यूरोप और अफ्रीका के कई अहम रणनीतिक ठिकाने भी हैं। बीजिंग, शंघाई, इस्लामाबाद, कराची जैसे शहर अब भारत की सामरिक पहुंच में हैं।
दुश्मन के डिफेंस सिस्टम को मात देने वाली तकनीक
इस मिसाइल को खास तरीके से डिज़ाइन किया गया है ताकि यह किसी भी एंटी-मिसाइल सिस्टम को धोखा दे सके। इसकी गति, ऊंचाई में बदलाव की क्षमता और उन्नत नेविगेशन सिस्टम इसे रडार की पकड़ से लगभग बाहर कर देते हैं, जिससे यह और ज्यादा खतरनाक हो जाती है।
भारत की योजना है कि अग्नि-V में जल्द ही MIRV (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicle) तकनीक को जोड़ा जाए। इसके जुड़ने से यह मिसाइल एक ही लॉन्च में कई टारगेट्स पर अलग-अलग परमाणु वारहेड दागने में सक्षम हो जाएगी। यह तकनीक भारत की सामरिक क्षमता को नए आयाम देगी और किसी भी प्रतिद्वंदी के लिए एक गंभीर चुनौती बन जाएगी।
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