अमेरिका का 6th जनरेशन बॉम्बर तैयार: चीन रूस की बढ़ी चिंता

न्यूज डेस्क। अमेरिका की वायुशक्ति में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। दुनिया का पहला छठी पीढ़ी का स्टील्थ बॉम्बर 'B-21 Raider' अब परीक्षण के अंतिम चरण में पहुंच चुका है। यह वही बॉम्बर है जिसे लेकर अमेरिकी रणनीतिकारों और रक्षा विशेषज्ञों की उम्मीदें काफी ऊँची हैं। कारण साफ़ है यह सिर्फ एक नया हथियार नहीं, बल्कि अमेरिका के वैश्विक सैन्य प्रभुत्व की अगली छलांग है।

B-2 का उत्तराधिकारी, B-21 का युग शुरू

B-21 को आधिकारिक तौर पर B-2 स्पिरिट का उत्तराधिकारी माना जा रहा है, जिसने दशकों तक अमेरिकी वायुशक्ति का नेतृत्व किया। पर अब तकनीक और जरूरतें बदल चुकी हैं। B-2 जहां रडार से बचने के लिए बनाया गया था, वहीं B-21 रेडर न सिर्फ अदृश्य है, बल्कि पूरी तरह से नेटवर्क-सक्षम और मल्टी-थिएटर ऑपरेशन के लिए तैयार है।

अमेरिकी वायुसेना के मेजर जनरल जेसन आर्मागोस्ट, जिन्होंने हाल ही में एक वेबिनार में B-21 को लेकर विस्तार से चर्चा की, ने कहा कि यह बॉम्बर "एक ऐसा अभियान बल" तैयार करेगा जो दुनिया के किसी भी कोने में एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बना सकेगा।

बेहद घातक, बेहद चुपचाप

B-21 का डिजाइन देखने में B-2 जैसा ही है फ्लाइंग विंग कॉन्फिगरेशन। लेकिन इसमें कई नई खूबियां जोड़ी गई हैं। इसकी एयर इनलेट्स इस तरह डिज़ाइन की गई हैं कि वे रडार की पकड़ से पूरी तरह बाहर रहें। साथ ही इसका 2D एग्जॉस्ट सिस्टम इंफ्रारेड सिग्नेचर को भी छुपाता है। यह दुश्मन की निगरानी तकनीकों को चकमा देने में सक्षम है। विमान में ISR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस, रीकॉन), इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और उन्नत नेटवर्किंग क्षमताएं शामिल हैं। सबसे खास बात ओपन आर्किटेक्चर यानी भविष्य के किसी भी आधुनिक हथियार को इसमें जोड़ा जा सकता है।

100 नहीं, 200 B-21 की मांग

वायुसेना ने B-21 की कम से कम 100 यूनिट्स खरीदने की योजना बनाई है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञ इसे अपर्याप्त मानते हैं। कुछ जनरल्स का मानना है कि एशिया, अफ्रीका और मिडिल ईस्ट में एक साथ अमेरिकी शक्ति प्रदर्शन के लिए 200 से अधिक B-21 की जरूरत होगी। इससे चीन और रूस जैसी महाशक्तियों पर प्रभावी रणनीतिक दबाव बनाया जा सकेगा।

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