लेकिन अब बिहार सरकार ने रैयतों की इन समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए एक विशेष पहल की शुरुआत की है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने "राजस्व महा अभियान" नामक एक राज्यव्यापी कार्यक्रम शुरू किया है, जो 16 अगस्त से लेकर 30 अक्टूबर 2025 तक चलेगा। इस अभियान के तहत जमीन से जुड़े नामांतरण, बंटवारा और ऑनलाइन जमाबंदी में मौजूद त्रुटियों को दुरुस्त करने की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया गया है।
अब क्या-क्या होगा आसान?
इस महाअभियान के तहत रैयतों को केवल एक फॉर्म भरना होगा और वे: अपने पूर्वजों की जमीन को अपने नाम ट्रांसफर करवा सकेंगे। जमीन दस्तावेजों में मौजूद नाम, खाता संख्या, खेसरा संख्या, रकबा आदि से जुड़ी त्रुटियाँ सुधार सकेंगे। बंटवारे के मामलों में आपसी सहमति या रजिस्टर्ड दस्तावेज के आधार पर अलग-अलग जमाबंदी करा सकेंगे। छूटी हुई या अभी तक ऑनलाइन नहीं हुई जमाबंदियों का डिजिटलीकरण करवा सकेंगे।
घर-घर जाकर सहायता
इस बार एक खास बात यह भी है कि अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे रैयतों को खुद प्रेरित करें और उनके घर-घर जाकर इस प्रक्रिया में मदद करें। सभी अंचलाधिकारी (CO), प्रखंडों के नोडल पदाधिकारी, DCLR और SDO को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रियता से रैयतों के बीच जमाबंदी की प्रति बांटें और त्रुटियों के सुधार की प्रक्रिया को गति दें।
उत्तराधिकार नामांतरण को लेकर विशेष व्यवस्था
यदि किसी भू-स्वामी की मृत्यु हो गई है, तो उनके वारिसों के नाम पर जमाबंदी वंशावली के आधार पर की जाएगी। यह उन परिवारों के लिए बड़ी राहत है जो वर्षों से मृतक पूर्वजों की जमीन को अपने नाम कराने के लिए भटक रहे थे।
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