यूपी में इन "शिक्षकों" के लिए खुशखबरी, पदोन्नति की तैयारी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग से जुड़ी हालिया खबर ने राज्य के हज़ारों राजकीय शिक्षकों के बीच उम्मीद की एक नई किरण जगा दी है। वर्षों से लंबित पड़ी प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति प्रक्रिया को अब फिर से गति मिलने जा रही है। विभाग ने पदोन्नति अधियाचन तैयार कर उसे शासन को भेज दिया है, और जैसे ही सरकार से मंजूरी मिलती है, यह अधियाचन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को सौंपा जाएगा। पहले चरण में लगभग 300 स्थायी प्रधानाचार्यों की नियुक्ति प्रस्तावित है।

पृष्ठभूमि: वर्षों से लंबित प्रक्रिया

प्रदेश में संचालित 2,441 राजकीय विद्यालयों में से कई इंटर कॉलेजों में वर्षों से प्रधानाचार्य के पद रिक्त हैं। खासकर 2018 से पदोन्नति की प्रक्रिया पूरी तरह ठप पड़ी हुई थी, जिससे 462 इंटर कॉलेजों में केवल कार्यवाहक प्रधानाचार्य ही नियुक्त हैं। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक जटिलताओं को जन्म दे रही थी, बल्कि वरिष्ठ शिक्षकों के मनोबल पर भी नकारात्मक असर डाल रही थी।

पदोन्नति का वर्तमान स्वरूप

नियमों के मुताबिक, प्रधानाचार्य पद के लिए 50% सीटें सीधी भर्ती और 50% पदोन्नति के माध्यम से भरे जाते हैं। जबकि सीधी भर्ती की प्रक्रिया समय-समय पर होती रही, पदोन्नति की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की जा रही थी। अब विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पहले चरण में सिर्फ वरिष्ठ शिक्षकों को पदोन्नति का अवसर मिलेगा, जबकि खंड शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) के लिए एक अलग प्रक्रिया चलाई जाएगी।

नई नियमावली के तहत एक अहम बदलाव यह किया गया है कि पदोन्नति कोटे में 33% पद महिला शिक्षकों और 33% पद पुरुष शिक्षकों के लिए आरक्षित होंगे। वहीं, बीईओ कोटे का हिस्सा 34% तय किया गया है। पदोन्नति की यह प्रक्रिया एक ओर जहां वर्षों से प्रतीक्षा कर रहे शिक्षकों के लिए राहत लेकर आई है, वहीं नए आरक्षण नियमों और कोटे में बदलाव को लेकर असंतोष भी मुखर हो रहा है।

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