पढ़ाई अब रंग-बिरंगी और दिलचस्प
अब छोटे-छोटे बच्चों की पढ़ाई केवल किताबों और कक्षाओं तक सीमित नहीं रहेगी। उन्हें हर महीने पेंसिल, क्रेयान, वॉटर कलर, चार्ट पेपर, फ्लैश कार्ड और कार्यपत्रक जैसी सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे उनकी कल्पनाशक्ति और रचनात्मक क्षमता को पंख मिलेंगे। यह बदलाव नर्सरी से लेकर प्री-प्राइमरी स्तर तक के बच्चों को केंद्र में रखते हुए किया गया है।
आर्थिक सहायता और निगरानी
समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद राज्य सरकार ने 2653.70 लाख रुपये की पहली किस्त जारी कर दी है। योजना के तहत कुल 10 महीने के लिए 5307 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। हर आंगनबाड़ी या बालवाटिका केंद्र को हर महीने स्टेशनरी के लिए 1000 रुपये दिए जाएंगे। इस राशि से स्थानीय स्तर पर बच्चों की ज़रूरतों के अनुसार सामग्री खरीदी जाएगी।
विद्यालय प्रबंध समिति को स्टेशनरी खरीद की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिसमें प्रधानाध्यापक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सुपरवाइजर और प्री-प्राइमरी नोडल शिक्षक शामिल होंगे। इसके साथ ही डायट प्राचार्य मासिक समीक्षा बैठकों के ज़रिए योजना की प्रगति पर निगरानी रखेंगे।
रचनात्मकता को मिलेगा बढ़ावा
इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों के भीतर छिपी रचनात्मकता को उभारना है। बच्चों को केवल रटने वाली पढ़ाई से निकालकर उन्हें सोचने, समझने और खुद से कुछ नया करने की प्रेरणा दी जाएगी। रंगों, चित्रों और गतिविधियों से जुड़ी यह पढ़ाई बच्चों को न केवल मज़ेदार लगेगी, बल्कि इससे उनकी बौद्धिक और सामाजिक क्षमता में भी सुधार होगा।
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