Navstar GPS: अमेरिका की ग्लोबल पकड़
अमेरिका का Navstar GPS सिर्फ आम लोगों के मैप्स तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सैन्य नेटवर्क है जो पिन-पॉइंट नेविगेशन, रीयल-टाइम लोकेशन और समय प्रबंधन में सेना की रीढ़ बना हुआ है। लॉकहीड मार्टिन के अनुसार, यह प्रणाली मिसाइलों की सटीकता, सैनिकों की मूवमेंट और वैश्विक अभियानों के कोऑर्डिनेशन में बड़ी भूमिका निभाती है।
GLONASS: रूस की सटीक दिशा शक्ति
रूस का GLONASS सिस्टम, अमेरिकी GPS का प्रभावी विकल्प है। इसकी उपग्रह श्रृंखला रूसी सेना को हर मौसम और भू-स्थान पर भरोसेमंद लोकेशन और टाइमिंग डेटा प्रदान करती है। यह विशेष रूप से कठिन भौगोलिक इलाकों में मिसाइलों की गाइडेंस और सैनिकों की रणनीतिक तैनाती को समर्थन देता है।
Beidou: चीन की अंतरिक्ष रणनीति का केंद्र
चीन का Beidou नेविगेशन सिस्टम न केवल वैश्विक कवरेज देता है, बल्कि इसकी भूमिका चीनी सेना की रणनीतिक योजना में बेहद अहम है। यह सैटेलाइट नेटवर्क युद्धक्षेत्र संचार, मिसाइल टारगेटिंग और सैनिकों के तालमेल को एक नई दक्षता देता है, जिससे यह अमेरिका और रूस के सिस्टम्स को सीधी टक्कर देता है।
Skynet: ब्रिटेन का सुरक्षित संचार कवच
ब्रिटेन की Skynet सैटेलाइट श्रृंखला सैन्य संचार का मेरुदंड है। युद्ध क्षेत्र हो या मानवीय सहायता मिशन, ये उपग्रह ब्रिटिश और सहयोगी सेनाओं को एन्क्रिप्टेड और भरोसेमंद कम्युनिकेशन की सुविधा देते हैं। यह नेटवर्क ब्रिटेन को वैश्विक रक्षा रणनीतियों में एक अहम स्थान दिलाता है।
GSAT: भारत की निगरानी और रक्षा की आँखें
भारत के GSAT सैटेलाइट, विशेष रूप से GSAT-7 (‘रुक्मिणी’) और GSAT-7A (‘एंग्री बर्ड’), नौसेना और वायुसेना के लिए डेडिकेटेड संचार सेवाएं प्रदान करते हैं। ये उपग्रह भारत की समुद्री सीमाओं और हवाई संचालन में असाधारण समर्थन प्रदान करते हैं। भविष्य के RISAT सैटेलाइट्स से भारत की रडार इमेजिंग क्षमता और भी बढ़ने की उम्मीद है।
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