सुबह कब चढ़ाएं 'सूर्यदेव' को जल? ये है सही समय

धर्म डेस्क। भारतीय संस्कृति में सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व है। वे केवल ऊर्जा और प्रकाश के प्रतीक ही नहीं, बल्कि जीवनदायिनी शक्ति माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि प्रतिदिन प्रातःकाल सूर्योदय के समय सूर्यदेव को जल अर्पित करने से मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं। साथ ही यह साधना व्यक्ति के भाग्य को भी मजबूत बनाती है।

क्या है सूर्य को जल चढ़ाने का सही समय?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य को जल अर्पित करने का सबसे शुभ समय सूर्योदय के बाद एक घंटे के भीतर होता है। खासकर, सुबह 6:15 से 6:45 तक का समय सूर्य को अर्घ्य देने के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। यह वह समय होता है जब सूर्य की किरणें शुद्ध, सकारात्मक और ऊर्जा से भरपूर होती हैं। 

शास्त्रों के अनुसार इस समय किए गए सूर्य पूजन से व्यक्ति को आत्मबल, आत्मविश्वास, स्वास्थ्य लाभ और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। साथ ही यह संक्रांति दोष, पितृ दोष और ग्रह दोषों को भी शांत करने में सहायक माना जाता है।

सूर्य को जल अर्पित करने की विधि

प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। तांबे के लोटे में स्वच्छ जल भरें, उसमें रोली, अक्षत (चावल), लाल पुष्प और थोड़ी सी शक्कर डालें। पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े हों और सूर्यदेव को ध्यानपूर्वक जल अर्पित करें। जल अर्पण करते समय “ॐ सूर्याय नमः” या आदित्य हृदय स्तोत्र का जाप करना अत्यंत फलदायक माना जाता है। इसके बाद सूर्य को नमस्कार कर दिन की शुरुआत करें।

क्यों खास है सूर्योदय का समय?

सूर्योदय के समय वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव चरम पर होता है। यह समय 'सत्त्विक काल' कहलाता है, जब हमारी चेतना अधिक जाग्रत और ग्रहणशील होती है। इस समय की गई कोई भी साधना, प्रार्थना या उपासना शीघ्र फल देती है।

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