बिहार शिक्षक बहाली: 84.4% पद अब बिहारियों के लिए!

पटना। बिहार की राजनीति और शिक्षा व्यवस्था, दोनों में इस समय एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया, जिसके तहत अब बिहार में शिक्षक नियुक्ति के 84.4 प्रतिशत पद बिहार के स्थानीय अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित होंगे। यह फैसला एक ओर युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने की मंशा को दर्शाता है, तो वहीं दूसरी ओर यह विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी बन सकता है।

डोमिसाइल आधारित आरक्षण का विस्तार

राज्य सरकार ने "बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनात्मक कार्रवाई एवं सेवा शर्त संशोधन नियमावली 2025" को मंजूरी दी है, जो अब बिहार के युवाओं को शिक्षक बनने के लिए विशेष प्राथमिकता देगी। अब वे अभ्यर्थी जो बिहार से मैट्रिक और इंटर की परीक्षाएं पास किए हैं, वे इस आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे, भले ही उन्होंने किसी भी बोर्ड से परीक्षा दी हो।

कैसे हुआ आरक्षण का पुनर्गठन?

बिहार में पहले से ही 50% आरक्षण जाति आधारित (SC, ST, OBC, EBC) था और 10% आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए लागू है। यह कुल मिलाकर 60% हुआ। बाकी बची 40% अनारक्षित सीटों में से: 35% सीटें बिहार मूल की महिलाओं के लिए आरक्षित थीं। अब बची हुई 65% सीटों में से 40% उन अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित कर दी गई हैं, जिन्होंने बिहार से मैट्रिक और इंटर पास किया हो। इस बदलाव के बाद, अनारक्षित सीटों में अब सिर्फ 15% पद ही पूरी तरह खुली प्रतिस्पर्धा के लिए बचे हैं। यानी बिहार और बाहरी राज्यों के सामान्य वर्ग के पुरुष और महिलाएं सिर्फ इन सीमित सीटों पर आवेदन कर सकेंगे।

प्रभाव और संभावित असर

राज्य सरकार का तर्क है कि इससे बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों के आवेदन अपने आप घटेंगे और लगभग 85% पदों पर बिहार के युवाओं की नियुक्ति सुनिश्चित होगी। यह नीतिगत बदलाव शिक्षा के क्षेत्र में स्थानीयता को प्राथमिकता देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। राजनीतिक रूप से देखा जाए तो यह फैसला चुनावी साल में युवाओं के एक बड़े वर्ग को साधने की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। इससे सरकार को स्थानीय वोटबैंक में मजबूती मिल सकती है।

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