अमेरिका: विश्व नेतृत्व की दौड़ में सबसे आगे
अमेरिका ने रक्षा तकनीक में लंबे समय से अग्रणी भूमिका निभाई है और लेजर हथियारों के क्षेत्र में भी उसने जबरदस्त प्रगति की है। अमेरिकी सेना ने मिसाइल, ड्रोन, और अन्य हवाई लक्ष्यों को प्रभावी तरीके से निशाना बनाने के लिए कई लेजर सिस्टम विकसित किए हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग का मानना है कि लेजर हथियार भविष्य के युद्धों में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
चीन: तेज़ी से बढ़ता सैन्य महाशक्ति
चीन भी इस तकनीक में तेजी से निवेश कर रहा है। उसकी महत्वाकांक्षा है कि वह खुद को वैश्विक सैन्य महाशक्ति के रूप में स्थापित करे। चीन ने कई सफल परीक्षण किए हैं, जिनमें छोटे ड्रोन और विमानों को लेजर से नष्ट करना शामिल है। इसके साथ ही चीन अपने लेजर हथियारों को और अधिक विकसित कर सुरक्षा में नई संभावनाएं तलाश रहा है।
रूस: रणनीतिक तकनीकी विकास
रूस ने भी लेजर हथियारों को अपनी सैन्य रणनीति में शामिल किया है। खासतौर पर रूस इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए लेजर तकनीकों का उपयोग कर रहा है। रूसी लेजर सिस्टम दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को निष्क्रिय करने में सक्षम हैं, जिससे युद्ध की भूमिका में बड़ा बदलाव आने की संभावना है।
इजरायल: लेजर हथियारों में अग्रणी
इजरायल ने छोटे आकार के लेजर हथियार विकसित करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जो ड्रोन और हल्के विमानों को रोकने में सक्षम हैं। उसकी ‘आइरन बीम’ तकनीक को वैश्विक स्तर पर सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सराहा जा रहा है। इजरायल की यह तकनीक सुरक्षा और बचाव के लिहाज से एक बड़ा कदम साबित हो रही है।
भारत: तेजी से उभरती बड़ी शक्ति
भारत भी लेजर हथियारों के क्षेत्र में तेजी से उभर रहा है। भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) लगातार इस दिशा में अनुसंधान कर रहा है और कई परियोजनाएं प्रगति पर हैं। भारत की यह कोशिश उसके रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने और स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत ने हाल ही में लेजर हथियार के टेस्ट भी किये हैं।
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